दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की खरीद पर एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश वी. के. राव की पीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश की पीठ ने अखिल भारतीय आईडीबीआई अधिकारी संघ को किसी भी तरह की राहत देने से मना करने के पहले सभी पक्षों पर अच्छे से विचार किया था। अखिल भारतीय आईडीबीआई अधिकारी संघ ने एलआईसी के हिस्सेदारी खरीदने का विरोध किया था जिसका आधार उसने हिस्सेदारी खरीदने के बाद बैंक का सरकारी बैंक वाला दर्जा चले जाने को बनाया था।
संघ ने अपनी अपील में पीठ से कहा कि आईडीबीआई में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदकर एलआईसी बीमा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है।
हालांकि, अदालत ने संघ की दलील को स्वीकार नहीं किया और कहा कि यदि बीमा अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन हुआ है तो उसे बीमा क्षेत्र की नियामक भारतीय बीमा विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (इरडा) के पास जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘बीमा अधिनियम का उल्लंघन हुआ है या नहीं हम उसकी जांच नहीं कर सकते हैं। इरडा के पास जाएं।’’
इस बीच, एलआईसी ने अदालत से कहा कि जितनी राशि का निवेश वह बैंक में कर रहा है, वह उसके कुल कोष का मात्र एक प्रतिशत है और उसने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह अपने बीमाधारकों के हितों की रक्षा करेगी।
Latest Business News