नई दिल्ली: हरियाणा सरकार द्वारा निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को अधिसूचित करने पर भारतीय उद्योग जगत ने शनिवार को इस कानून पर फिर से विचार करने का आह्वान किया और कहा कि इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियां राज्य से बाहर चली जाएंगी। उद्योग निकायों ने तर्क दिया कि आरक्षण प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाता है और राज्य सरकार स्थानीय भर्ती को बढ़ावा देने के लिए उद्योग को 25 प्रतिशत सब्सिडी दे सकती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘ऐसे समय में जब राज्य में निवेश आकर्षित करना महत्वपूर्ण है, सरकारों को उद्योग पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। आरक्षण उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को प्रभावित करता है।’’ सीआईआई ने आगे कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार कानून पर फिर से विचार करेगी या कम से कम यह सुनिश्चित करेगी कि नियम से कोई भेदभाव न हो। एक देश के रूप में, कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।’’
उद्योग निकाय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विजन के साथ ‘‘हमें ऐसी प्रतिबंधात्मक प्रथाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।’’ एक अन्य उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि किसी भी भारतीय को बिना किसी प्रतिबंध के भारत के किसी भी राज्य में काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीएचडीसीसीआई ने कहा, ‘‘75 प्रतिशत आरक्षण के कारण प्रौद्योगिकी कंपनियां, ऑटोमोटिव कंपनियां, खासतौर से बहुराष्ट्रीय कंपनियां बाहर चली जाएंगी, ये अत्यधिक कुशल कार्यबल पर आधारित कंपनियां हैं।’’ पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय भर्ती को बढ़ावा देने के लिए उद्योग को 25 प्रतिशत सब्सिडी दे सकती है।
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