नई दिल्ली। भारत से निर्यात होने वाले रेड मीट पर अब यह लिखा होना जरूरी नहीं होगा कि ‘इस्लामिक देशों की जरूरत को देखते हुए मीट के लिए जानवरों को हलाल किया गया है’ क्योंकि वाणिज्य मंत्रालय की संस्था कृषि एवं प्रोसेस्ड फूड एकर्सपोर्ट डेवलप्मेंट अथॉरिटी (APEDA) ने मीट निर्यात के लिए बने रेड मीट मैनुअल से हलाल शब्द हटा दिया है। अब रेड मीट मैनुअल में हलाल शब्द हो हटाकर लिखा गया है कि ‘आयातक देश की जरूरत के मुताबिक जानवरों को काटा गया है।’
कुछ संगठनों ने मीट निर्यात मैनुअल में हलाल शब्द को लेकर आपत्ति जताई थी जिसे देखते हुए APEDA की तरफ से यह कदम उठाया गया है। APEDA ने यह भी कहा है कि हलाल शब्द के लिए सरकार की तरफ से कोई बाध्यता नहीं थी।
दलअसल इस्लामिक देशों में हलाल उत्पादों की मांग रहती है और उसी को ध्यान में रखते हुए मीट निर्यात मैनुअल में हलाल शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा था। भारत दुनियाभर में सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश है। हर साल भारत से कई लाख टन भैंस का मीट निर्यात होता है, इसके अलावा भेड़ और बकरी का मीट भी निर्यात किया जाता है।
APEDA के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीने यानि अप्रैल से नवंबर 2020 के दौरान देश से 7.05 लाख टन भैंस का मीट निर्यात हुआ है और 4500 टन से ज्यादा भेड़-बकरी का मीट एक्सपोर्ट किया गया है। हालांकि भारत से भैंस का मीट खरीदने वाले देशों में वियतनाम और हांगकांग जैसे देश सबसे आगे हैं जबकि अधिक मुस्लिम आबादी वाले देशों में मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देश हैं। भारत से खाड़ी के देशों में भैंस का उतना मीट निर्यात नहीं होता जितना दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को किया जाता है।
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