वाशिंगटन। विदेशी आईटी पेशेवरों ने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका में बड़े पैमाने पर छंटनी की स्थिति में नौकरी जाने पर उन्हें 60 दिन के बजाए 180 दिनों तक अमेरिका में रुकने की इजाजत दी जाए। इन पेशेवरों में ज्यादातर भारतीय एच-1बी वीजाधारक हैं। एच-1बी एक गैर प्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को कुछ खास व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है। भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच इसकी सबसे अधिक मांग है। वर्तमान संघीय नियमों के मुताबिक नौकरी छोड़ने के 60 दिनों के भीतर इन वीजाधारकों को अपने परिवार के साथ अमेरिका छोड़ना जरूरी है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है और आने वाले महीनों में हालात बिगड़ सकते हैं। अमेरिका में 21 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान रिकॉर्ड 33 लाख अमेरिकियों ने प्रारंभिक बेरोजगारी के दावे किए हैं। देश में लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार लगभग 4.7 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं। दूसरी ओर एच-1बी वीजाधारक न तो बेरोजगारी लाभ पाने के पात्र हैं और न ही सामाजिक सुरक्षा लाभ के हकदार हैं, भले ही इसके लिए उनके वेतन से कटौती की गई हो।
प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में एच-1बी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। कुछ मामलों में कंपनियों ने अपने एच-1बी कर्मचारियों को पहले ही आगाह कर दिया है कि उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है। इससे एच-1बी वीजाधारकों ने नौकरी छोड़ने के बाद अमेरिका में अपने प्रवास के समय को बढ़ाने के लिए व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर एक याचिका अभियान शुरू किया है। याचिका में सरकार से अस्थायी प्रवास की अवधि को 60 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने और इस कठिन समय में एच-1बी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है। व्हाइट हाउस से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए कम से कम एक लाख याचिकाओं की जरूरत होती है।
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