GSTR-1: भारी जुर्माने से अगर चाहते हैं आप बचना तो 10 जनवरी तक जरूर भर दें अपना रिटर्न
साथ ही अब तक दो माह लगातार 3बी रिटर्न फाइल न करने पर ई-वे बिल जनरेट न होने के निर्देश थे लेकिन अब इसे जीएसटीआर 1 के साथ भी जोड़ दिया गया है।
नई दिल्ली। कारोबारी ध्यान दें! जीएसटीआर-1 फार्म 10 जनवरी 2020 से पहले जमा करने पर कोई विलंब शुल्क नहीं देना होगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के मुताबिक, सभी करदाताओं को जुलाई 2017 से नवंबर 2019 तक लंबित सभी फार्म जीएसटीआर-1 10 जनवरी 2020 तक जमा करने पर कोई विलंब शुल्क नहीं लगेगा। अगर सारे पेंडिंग रिटर्न्स 10 जनवरी 2020 तक फाइल कर दिए जाएंगे तो लेट फीस यानी जुर्माना नहीं लगेगा, लेकिन उसके बाद फाइल करेंगे तो भारी जुर्माना लगेगा। 11 जनवरी, 2020 से ऐसे करदाता जिन्होंने अपने जीएसटीआर-1 फाइल नहीं किए हैं वे ई-वे बिल भी जनरेट नहीं कर सकेंगे।
सीबीआईसी की मानें तो, सभी करदाताओं के लिए यह एक अंतिम अवसर है और इसके बाद विलंब शुल्क लगाया और लिया जाएगा। अधिकतम दायित्व प्रति माह 10 हजार रुपए तक का हो सकता है। प्राप्तकर्ताओं को अपने आपूर्तिकर्ताओं को इस विवरणी को जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि उनके जीएसटीआर-1 फॉर्म जमा नहीं करने से प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) पात्रता प्रभावित होगी।
गौरतलब है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए ढाई वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन अभी तक रिटर्न के मिस मैच की समस्या खत्म नहीं हो पा रही है। बड़ी संख्या में विक्रेता माल बेचने के बाद भी अपना जीएसटीआर-1 रिटर्न फाइल नहीं करते। ऐसा न करने की वजह से खरीदार उस खरीद को अपने रिटर्न में दिखा नहीं पाते क्योंकि जीएसटीआर-1 दाखिल न होने की वजह से उनके जीएसटीआर 2ए में यह इसकी इनवाइस नजर नहीं आती है। इसके चलते जीएसटी में उनकी आइटीसी फंस जाती है।
10 जनवरी तक रिटर्न फाइल करने के निर्देश
ऐसे मामलों में नियम 36(4) में अधिकतम 20 फीसद आइटीसी की सीमा तय किए जाने के बाद से ही काफी विरोध शुरू हो गया था। इस मामले में जीएसटी ने एक ओर 20 फीसद को और घटाकर 10 फीसद कर दिया लेकिन सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि जीएसटी ने अब तक के सभी जीएसटीआर 1 रिटर्न 10 जनवरी 2020 तक फाइल करने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही अब तक दो माह लगातार 3बी रिटर्न फाइल न करने पर ई-वे बिल जनरेट न होने के निर्देश थे लेकिन अब इसे जीएसटीआर 1 के साथ भी जोड़ दिया गया है।
अगर अब लगातार दो माह जीएसटीआर 1 रिटर्न फाइल न किया गया तो कारोबारी ई-वे बिल जेनरेट नहीं कर सकेंगे। टैक्स सलाहकारों का कहना है कि इसका लाभ उन कारोबारियों को मिलेगा जो सही तरीके से कार्य करना चाहते हैं। विक्रेता अपना जीएसटीआर 1 रिटर्न फाइल करेंगे तो खरीदार को भी अपनी आइटीसी लेना आसान हो जाएगा। साथ ही रिटर्न के मिसमैच की समस्या भी खत्म होगी। इससे खरीदार को अपनी जेब से पैसा नहीं भरना होगा।
जीएसटीआर-1 इनके लिए भरना जरूरी
जिन कारोबारियों का टर्नओवर 1.50 करोड़ रुपए से अधिक है उनको नवंबर महीने की जीएसटीआर-1 रिटर्न फॉर्म भरना होता है। आपको बता दें कि लेट रिटर्न फाइल करने से कारोबारियों की रेटिंग भी खराब होती है। दरअसल जीएसटीआर-1 आउटवर्ड सप्लाई की डिटेल देने के लिए बनाया गया है। यानी पिछले महीने में आपने जितनी भी सेल की है या सामान (वस्तुओं) का एक्सपोर्ट किया है उस सब की डिटेल आपको इसमें देनी होगी। जीएसटीआर-1 फॉर्म भरने के लिए आपको सरकार की वेबसाइट पर जाकर लॉग इन करना होगा। इसके बाद आपको इंट्रा स्टेट सेल की जानकारी (उसी राज्य या शहर के भीतर की गई बिक्री का ब्यौरा), इंटरस्टेट सेल (एक स्टेट से दूसरी स्टेटे में की गई सेल या बिक्री का ब्यौरा) कुल एक्सपोर्ट का ब्यौरा, अगर आपने ई-कॉमर्स ऑपरेटर के जरिए कोई सेल की है, उसकी भी जानकारी देनी होगी, अगर आपने टैक्स स्लैब में निल/जीरो रेटेड या एग्जेम्पेटेड आइटम की सेल की है तो उसका ब्यौरा भी देना होगा।