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जीएसटी विधेयक के पारित होने के लिए जीएसटीएन को सुरक्षा मंजूरी महत्वपूर्ण: स्वामी

जीएसटी को संसद तभी पारित कर सकती है जब कि जीएसटीएन को सुरक्षा संबंधी स्वीकृति मिल चुकी हो। वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) एक विशेष उद्देश्यीय इकाई है।

जीएसटी विधेयक के पारित होने के लिए जीएसटीएन को सुरक्षा मंजूरी महत्वपूर्ण: स्वामी- India TV Paisa जीएसटी विधेयक के पारित होने के लिए जीएसटीएन को सुरक्षा मंजूरी महत्वपूर्ण: स्वामी

नई दिल्ली। भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने जीएसटी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क का ढांचा तैयार करने के लिए गठित कंपनी को देश विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद तभी पारित कर सकती है जब कि जीएसटीएन को सुरक्षा संबंधी स्वीकृति मिल चुकी हो। वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) एक विशेष उद्देश्यीय इकाई है। इसका गठन पिछली संप्रग सरकार के समय किया गया था। स्वामी ने ट्विट पर एक के बाद एक कई टिप्पणियों और प्रश्नों के उत्तर में कहा कि जीएसटी तभी क्रियान्वित हो सकता है जब उच्चतम न्यायालय प्रवेश कर से संबंधित याचिका का निपटान कर दे जो उसके विचारार्थ है।

स्वामी ने ट्विट किया, जीएसटी विधेयक संसद तभी पारित कर सकती है जब दो मुद्दों जीएसटीएन को गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी मंजूरी दे और एच (हसमुख) अधिया की सात चुनौतियों का समाधान है। तारीख: 2020, लेकिन यह तत्काल साफ नहीं हुआ है कि तारीख: 2020 से उनका क्या मतलब है।जीएसटीएन में सरकार की हिस्सेदारी 24.5 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और पुडुचेरी तथा वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति समेत राज्य सरकारें इसमें 24.5 प्रतिशत हिस्सेदार हैं। शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास है। स्वामी पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में प्राधिकरण की मांग करते रहे हैं।

ट्विटर पर आज उन्होंने सात चुनौतियों का जिक्र किया है। इसमें जीएसटी दर, छूट प्राप्त सूची के बारे में फैसला तथा केंद्र तथा राज्यों द्वारा दोहरा नियंत्रण नहीं होना सुनिश्चित करना शामिल है। इन चुनौतियों का जिक्र राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने किया है। उनका कहना है कि जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने के रास्ते में ये चुनौतियां हैं।सुब्रमणियम स्वामी के एक ट्विटर फालोअर्स ने जब पूछा कि जीएसटी कानून कब से प्रभाव में आएगा और क्या इसकी कोई संभावना है कि इसका क्रियान्वयन 2017 से हो, स्वामी ने जवाब दिया, अभी जो स्थिति है उसमें यह उच्चतम न्यायालय (की बाधा) को पार नहीं करेगा है।

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