नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू होने के बाद कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी। बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में इसके बारे में लिखित जानकारी दी है। वित्तमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर में GST की दरें या तो GST कार्यकाल से कम हैं या बराबर हैं, ऐसे में कपड़ों की कीमतों में इजाफा नहीं होगा। वित्तमंत्री ने कहा कि GST से टेक्सटाइल सेक्टर के संगठित व्यापारी और असंगठित विक्रेताओं पर किसी तरह का खराब असर नहीं पड़ा है।
वित्तमंत्री की तरफ से राज्यसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक कपड़ा व्यापारियों की मुख्य मांग थी कि कपड़े को किसी भी टैक्स दायरे से बाहर रखा जा लेकिन यह संभव नहीं है। अगर कपड़े को टैक्स फ्री कर दिया जाता तो इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट चेन बिगड़ जाती और कपड़ा निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिल पाता। टैक्स फ्री होने पर आयातित कपड़े को भी जीरो रेटिंग मिलती जिसका बोझ घरेलू कपड़ा निर्माताओं पर पड़ता।
वित्तमंत्री ने उन खबरों का भी खंडन किया जिनमें कहा गया था कि देश में कभी भी कपड़े पर टैक्स नहीं लगा। वित्तमंत्री ने बताया कि साल 2003-04 में देश का पूरा टेक्सटाइस सेक्टर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के दायरे में रखा गया था।
GST काउंसिल ने कपड़े पर जो टैक्स स्लैब निर्धारित किए हैं वह इस तरह से हैं। सिल्क, वूल और कॉटन फाइबर पर किसी तरह कै टैक्स नहीं है, इनसे बनने वाले यार्न पर 5 फीसदी टैक्स लगाया गया है जबकि मैनमेड यार्न पर 18 फीसदी GST लागू किया गया है। गैर सिले हर तरह के कपड़े यानि फैब्रिक पर 5 फीसदी GST का प्रावधान है। 1000 रुपए से कम कीमत वाले रेडिमेड गारमेंट पर 5 फीसदी और 1000 रुपए से ऊपर के रेडिमेड कपड़े पर 12 फीसदी टैक्स का प्रावधान है।
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