नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को GST की दर 18 फीसदी से कम रहने का आश्वासन देते हुए जीएसटी में एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स के प्रस्ताव को हटाने की कांग्रेस की मांग को मानने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल करने की कांग्रेस की मांग पर सहमत नहीं हुआ जा सकता है।
कांग्रेस GST को सरल रखने की मांग करते हुए इसको राज्य सभा में पारित करने का विरोध कर रही है। उसका कहना है कि राज्यों को कोई अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान नहीं होना चाहिए और जीएसटी दर संविधान संशोधन में ही उल्लेखित उल्लिखित होनी चाहिए। जीएसटी पर उद्योग जगत की एक बैठक में उन्होंने कहा कि अंतर-राज्यीय बिक्री पर एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स का प्रस्ताव किया गया था, क्योंकि गुजरात और तमिलनाडु जैसे मैन्युफैक्चरिंग राज्यों का मानना है कि उन्होंने बुनियादी ढांचे पर खर्च किया है और उन्हें राजस्व का नुकसान होगा, क्योंकि जीएसटी मुख्यत: गंतव्य पर लगने वाला कर है।
GST में उत्पाद शुल्क, बिक्री कर और सेवा कर जैसे सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे। नई प्रणाली के तहत एक केंद्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी) और राज्य जीएसटी (एस-जीएसटी) होगा। फिलहाल राज्य अपने यहां बेचे गए उत्पादों पर बिक्री कर या वैट लगाते हैं और राज्य में तैयार माल की राज्य की सीमा से बाहर की गई बिक्री पर उन्हें एक केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) मिलता है। जीएसटी लागू होने पर सीएसटी नहीं रह जाएगा। इसलिए उत्पादक राज्यों को जीएसटी के तहत राजस्व की क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि कराधान की दर का फैसला जीएसटी परिषद करेगी। वित्त मंत्री ने कहा आखिरकार, राज्य और केंद्र अपने अधिकार जीएसटी परिषद को सौंप रहे हैं। जीएसटी परिषद दर पर फैसला करेगी। जेटली ने कहा कि हर तरह की वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए कोई एक दर नहीं होगी। उन्होंने कहा कमजोर तबकों, आम आदमी के काम आने वाली चीजों पर जीएटी की दर कम होगी, जबकि शेष वस्तुओं के लिए एक मानक दर होगी। जेटली ने कहा लग्जरी उत्पादों तथा सामाजिक दृष्टि से अवगुणकारी वस्तुओं पर कर की दर ऊंची रखी जाएगी। इसलिए यह कहना अतार्किक होगा कि हम संविधान में 18 फीसदी कर का प्रावधान करें। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्म की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह तय है कि मानक दर 18 फीसदी से कम या 18 फीसदी से काफी कम रहेगी।
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