नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने का असर सर्विस सेक्टर पर भी दिखाई दिया। जुलाई में GST लागू होने के बाद सेवा क्षेत्र की गतिविधियां पिछले चार साल के निम्न स्तर पर पहुंच गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है। मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र की गतिविधियों का आकलन करने वाला दि निक्केई इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई माह में गिरकर 45.9 पर आ गया। यह आंकड़ा सितंबर 2013 के बाद सबसे कम है। एक महीना पहले जून में यह आठ माह के उच्चस्तर 53.1 अंक पर था। जुलाई के सर्विस सेक्टर PMI आंकड़े इस कैलेंडर वर्ष में आने वाली पहली गिरावट को भी दर्शाते हैं।
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आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलीयाना डी लीमा ने रिपोर्ट में कहा है कि,
जुलाई के PMI आंकड़े पूरे भारत में गतिविधियों में गिरावट को दर्शाते हैं, जून में गतिविधियों में तेजी आने के बाद जुलाई में अर्थव्यवस्था वापसी के रुख में आ गई।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने के बाद सेवा क्षेत्र की कंपनियों का कहना है कि नए काम के ऑर्डर कम आए हैं जिससे गतिविधियां सुस्त पड़ गईं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आई गिरावट के बाद सर्विस सेक्टर में भी जुलाई के दौरान गिरावट का रुख रहा। जुलाई में नए ऑर्डर और उत्पादन घटने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी गिरावट रही।
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इसके साथ ही निक्केई इंडिया कंपोजिट PMI आउटपुट इंडेक्स -जो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों को मापता है- जुलाई माह में तेजी से गिरकर 46.0 अंक रह गया। एक माह पहले जून में यह 52.7 अंक पर था। लीमा का कहना है कि नोटबंदी के झटके के बाद निजी क्षेत्र की गतिविधियों में पहली बार इतनी गिरावट आई है। वर्ष 2009 के बाद यह पहली बड़ी गिरावट है, इससे बाजार में बिक्री गतिविधियों का पता चलता है। बहरहाल, सेवा प्रदाता आगामी 12 माह के परिदृश्य को लेकर आशावादी हैं।
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