GST परिषद की बैठक कल, राजस्व कमी को दूर करने के लिए दरें बढ़ाने पर हो सकता है फैसला
जीएसटी से छूट दी गई है उन्हें कर के दायरे में लाने समेत राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे गए हैं।
नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की बुधवार को अहम् बैठक होने जा रही है। इस बैठक में राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर विचार किया जा सकता है। जीएसटी की मौजूदा दर व्यवस्था के तहत उम्मीद से कम राजस्व प्राप्ति के चलते कर ढांचे में बदलाव को लेकर चर्चा तेज हुई है। राजस्व प्राप्ति कम होने से राज्यों को क्षतिपूर्ति भुगतान में विलंब हो रहा है। जीएसटी प्राप्ति में कमी की भरपाई करने के लिए जीएसटी दर और उपकर में वृद्धि किए जाने के सुझाव दिए गए हैं।
पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों ने हालांकि, उपकर की दरों में किसी प्रकार की वृद्धि किए जाने का विरोध किया है। राज्य सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच उपभोक्ता के साथ-साथ उद्योगों को भी कामकाज में दबाव का सामना करना पड़ रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी और उपकर की दरों की समीक्षा के बारे में सुझाव मांगे हैं। राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के वास्ते परिषद ने विभिन्न सामानों पर दरों की समीक्षा करने, उल्टे कर ढांचे को ठीक करने के लिए दरों को तर्कसंगत बनाने, राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए वर्तमान में लागू किए जा रहे उपायों के अलावा अन्य अनुपालन उपायों के बारे में सुझाव मांगे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा है कि राज्यों को जीएसटी परिषद से पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें उनसे राजस्व संग्रह बढ़ाने के बारे में सुझाव मांगे गए हैं। इसमें कहा गया है कि जिन सामानों को जीएसटी से छूट दी गई है उन्हें कर के दायरे में लाने समेत राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। मित्रा ने पत्र में लिखा है कि यह बहुत खतरनाक स्थिति है। हमें ऐसे समय जब उद्योग और उपभोक्ता दोनों ही काफी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं जब मांग और कारोबार में वृद्धि के बिना ही मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका बनी हुई है ऐसे समय में कर ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव करना अथवा कोई नया उपकर लगाना ठीक नहीं होगा। हमें इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने ऐसी आशंका जताई है कि भारत सुस्त आर्थिक वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के दौर में पहुंच रहा है। ऐसी स्थिति बन रही है जहां आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती जारी रहने के बावजूद मुद्रास्फीति में तेजी का रुख बन रहा है। खाद्य उत्पादों के बढ़ते दाम की वजह से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति तीन साल के उच्चस्तर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई। दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन लगातार तीसरे माह घटता हुआ अक्टूबर में 3.8 प्रतिशत घट गया। इससे अर्थव्यवसथा में एक तरफ जहां सुस्ती दिख रही है वहीं दूसरी तरफ मुद्रास्फीति सिर उठा रही है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि छह साल के निम्न स्तर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। अमित मित्रा ने कहा कि दरें बढ़ाने और नए कर लगाने अथवा उपकर बढ़ाने के बजाये जीएसटी परिषद को उद्योगों को राहत पहुंचाने के तौर-तरीके तलाशने चाहिए ताकि ये क्षेत्र मौजूदा संकट से उबर सकें। अतिरिक्त कर राजस्व जुटाने का समाधान कर की दरों में छेड़छाड़ करने से नहीं बल्कि कर अपवंचना और धोखाधड़ी पकड़ने के उपायों से होगा। बहरहाल, राज्यों की उन्हें राजस्व क्षतिपूर्ति भुगतान में हो रहे विलंब की शिकायतों के बाद सोमवार को केंद्र सरकार ने कुल 35,298 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को जारी कर दी है। देश में जीएसटी व्यवसथा एक जुलाई 2017 को लागू हुई थी। जीएसटी लागू करते समय केंद्र ने राज्यों को उनके राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई करने का आश्वासन दिया था।