नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को हुई माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 24वीं बैठक में उत्पादों के इंटर स्टेट मूवमेंट के लिए एक फरवरी से ई-वे बिल को अनिवार्य किए जाने की मंजूरी दे दी गई है।
कुछ राज्य स्वेच्छा से एक फरवरी से इंटर-स्टेट और इंट्रा-स्टेट ई-वेल को लागू कर सकते हैं। ई-वे बिल के लिए सिस्टम 15 जनवरी से उपलब्ध होगा। सूत्रों ने बताया कि इंट्रा-स्टेट के लिए ई-वे बिल एक जून से अनिवार्य होगा। हालांकि इंट्रा-स्टेट मूवमेंट के लिए ई-वे बिल को धीरे-धीरे परिचालन में लाना शुरू किया जाएगा।
इंटर स्टेट बिक्री के दौरान संभावित कर चोरी के बढ़ते मामलों से सरकार ने यह कदम उठाया है। इस बैठक में व्यवस्था की कमियों को दुरुस्त करने के साथ-साथ कर चोरी को रोकने पर विचार- विमर्श किया गया। माल एवं सेवाकर के संग्रहण में अक्टूबर में सितंबर के मुकाबले 12,000 करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई है, जिस पर बैठक में महत्वपूर्ण तौर पर विचार-विमर्श किया गया। परिषद का मानना है कि कर चोरी इसकी एक प्रमुख वजह है। अक्टूबर में जीएसटी वसूली 83,346 करोड़ रुपए रही। यह सितंबर की 95,131 करोड़ रुपए की वसूली से काफी कम है।
क्या होता है ई-वे बिल
अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। ई-वे बिल के तहत 50,000 रुपए से अधिक के अमाउंट के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए बताना होगा। इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 15 दिन तक मान्य होगा। यह मान्यता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा।
ई-वे बिल से इन्हें मिलेगी छूट
ई-वे बिल को रजिस्टर सप्लायर, बायर और ट्रांसपोटर्स जनरेट करेगा। कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्युडिशियल और नॉन ज्युडिशियल स्टैंप पेपर, न्यूजपेपर, ज्वैलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्युमन हेयर, काजल, दिये, चेक, म्युनसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, किरोसिन, हीटिंग एड्स और करेंसी को ई-वे बिल से बाहर रखा गया है।
Latest Business News