सस्ता होगा पेट्रोल डीजल! GST काउंसिल आज कर सकती है विचार, ये राज्य अड़ा सकते हैं रोड़ा
अगर काउंसिल में इस बारे में सहमति बनती है तो इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी देखने को मिल सकती है।
पेट्रोल डीजल की महंगाई की मार झेल रही आम जनता की उम्मीदें आज लखनऊ में होने जा रही GST काउंसिल की बैठक पर जमी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने जा रही काउंसिल की 45वीं बैठक में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के दायरे में लाए जाने पर विचार हो सकता है। बता दें कि जून में केरल हाईकोर्ट ने काउंसिल से आग्रह किया था कि वो पेट्रोलियम प्रोडक्ट को GST के दायरे में लाने पर विचार करें। हाईकोर्ट के आग्रह के बाद GST मंत्री समूह ने एक प्रस्ताव तैयार किया है।
अगर काउंसिल में इस बारे में सहमति बनती है तो इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी देखने को मिल सकती है। दिल्ली में आज इंडियन ऑयल के पंप पर पेट्रोल 101.19 रुपये प्रति लीटर औैर डीजल 88.62 रुपये प्रति लीटर पर रहा। बता दें सरकार पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है।
इस तरह सस्ता होगा तेल
दिल्ली में पेट्रोल पर अभी करीब 55 प्रतिशत टैक्स लगता है। अगर 28 प्रतिशत के जीएसटी के हाई स्लैब में भी इसे शामिल किया जाता है तो टैक्स आधा हो जाएगा। इससे दिल्ली में ताजा कीमतों के हिसाब से पेट्रोल 28 रुपये सस्ता हो जाएगा, लेकिन सवाल वही है कि क्या राज्य सरकारें इस बड़े नुकसान को बर्दाश्त करने के लिए तैयार होंगी।
ये हैं राह के रोड़े
जीएसटी सिस्टम में किसी भी बदलाव के लिए तीन-चौथाई सदस्यों की सहमति जरूरी है। जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का विरोध किया है। केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा। वहीं महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि राज्य सरकार कर लगाने के राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण करने की दिशा में उठाये जाने वाले किसी भी कदम के खिलाफ है।
फूड डिलीवरी पर भी फैसला संभव
यह जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक है। यह देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद काउंसिल की पहली फिजिकल मीटिंग है। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर विचार किया जा सकता है। बैठक में जोमैटो (Zomato) तथा स्विगी (Swingy) जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार होगा।