पणजी। जीएसटी काउंसिल की गोवा में आयोजित 37वीं बैठक में परिषद ने आधार को जीएसटी के अंतर्गत करदाताओं के पंजीकरण से जोड़ने का सैद्धांतिक तौर पर शुक्रवार को फैसला किया और रिफंड पर दावा करने के लिए इसे जरूरी बनाने की संभावना पर विचार किया। जीएसटी के अंतरगत टैक्स देने वाले करदाताओं के रजिस्ट्रेशन को आधार से लिंक करने का भी फैसला किया गया। इसके अलावा रिफंड का दावा करने के लिए 12 डिजिट यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर को अनियवार्य करने पर भी चर्चा हुई।
परिषद ने जून में जारी उस परिपत्र को भी वापस लेने का निर्णय किया, जिसमें कहा गया था कि कुछ मामलों में एक कंपनी द्वारा डीलर को दी गयी अतिरिक्त छूट पर भी माल और सेवा कर (जीएसटी) लगेगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार परिषद ने वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए वार्षिक जीएसटी कंपोजिशन रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर-9ए) भरने में रोजगार सृजन करने वाले एमएसएमई सेक्टर को राहत देने का फैसला किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में रोजगार देने वाले लघु एवं मध्य उद्योगों को जीएसटी रिटर्न फाइल करने में राहत देने का भी फैसला लिया गया। इसमें जीएसटी रिटर्न की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए अधिकारियों की एक कमिटी गठित की जाएगी। इसके अलावा रिटर्न फाइल करने का नया तरीका अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा, जिससे लोग इसे आसानी से अपना सकें।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली परिषद की गोवा में बैठक संपन्न हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। जीएसटी परिषद ने आर्थिक नरमी के बीच विभिन्न उद्योगों को राहत देते हुए होटल और वाहन उद्योग जैसे कुछ क्षेत्रों को कर में राहत देने का फैसला किया है। इसके विपरीत, कैफीन वाले पेय पदार्थों तथा रेल गाड़ी के सवारी डिब्बे एवं वैगन पर जीएसटी का बोझ बढ़ाया गया है।
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