नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) विधेयक को लेकर राजनीतिक घटनाक्रमों और अनिश्चित ग्लोबल संकेतों से इस हफ्ते बाजार को दिशा मिलेगी। एनालिस्टों के मुताबिक इसके अलावा शुक्रवार को आने वाले अक्टूबर महीने के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े शेयर बाजार के लिए अहम है। इसके अलावा बाजार की चाल रुपए में गिरावट और तेजी से भी प्रभावित होगा। वहीं, जीएसटी को लेकर राजनीतिक गतिरोध दूर होने की संभावना है।
शेयर बाजार में रहेगा उतार-चढ़ाव भरा माहौल
रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख हितेष अग्रवाल ने कहा, दिसंबर के मध्य में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपने ब्याज दर के संदर्भ में लिए जाने वाले फैसले तक निवेशकों की घबराहट कायम रहने की संभावना है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए रपये की कमजोरी भी चिंता का विषय है। अक्टूबर के लिए औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर बाजार की नजर होगी जिससे बाजार में उतार चढ़ाव आ सकता है। उन्होंने कहा, इन सबके बीच हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर आशा की एक किरण शीतकालीन सत्र में जीएसटी विधेयक को संभावित रूप से पारित किया जाना हो सकता है जो भारत के विकास गाथा में उत्प्रेरक का काम करेगा।
जीएसटी को लेकर राजनीतिक गतिरोध दूर होने की संभावना
अमेरिकी करेंसी के मुकाबले शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भारतीय मुद्रा में गिरावट आई और दिन के कारोबार में यह दो साल के निचले स्तर 67.01 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। ट्रेड स्मार्ट ऑनलाइन के संस्थापक निदेशक विजय सिंघानिया ने कहा, जीएसटी विधेयक के अलावा, व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों का रख और डॉलर के मुकाबले रुपए की घट बढ़ चालू सप्ताह में बाजार की दिशा निर्धारित करेंगे। इस बीच शुक्रवार को मुख्य आर्थिक सलाहकार की अगुवाई वाली एक समिति ने 17 से 18 फीसदी जीएसटी दर की सिफारिश की है और अन्तर राज्य बिक्री पर एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को हटाने की भी सिफारिश की है। इससे जीएसटी को लेकर राजनीतिक गतिरोध दूर हो सकता है। सैमको सिक्योरिटीज के सीईओ जिमीत मोदी ने कहा कि फेडरल बैंक के नतीजे के आने से पहले बाजार देखो और इंतजार करो की नीति अपनाएगा।
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