नई दिल्ली। राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह ने शुक्रवार को टैक्स चोरी रोकने के लिए पुराने सोने और आभूषणों की बिक्री पर 3 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा की। केरल के वित्त मंत्री थॉमस ईसाक ने यह जानकारी दी। मंत्री समूह ने राज्य के भीतर सोने के परिवहन के लिए ई-वे बिल को अनिवार्य करने का भी निर्णय लिया। हालांकि, मंत्री समूह का मानना है कि एक राज्य से दूसरे राज्य को सोने के परिवहन के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन व्यावहारिक नहीं होगा।
मंत्री समूह ने यह भी निर्णय लिया है कि सोने और आभूषण दुकानों के लिए प्रत्येक खरीद और बिक्री के लिए ई-बिल जारी करना अनिवार्य किया जाएगा। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि यदि कोई राज्य सोने के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन करना चाहता है, तो वह राज्य के भीतर परिवहन के लिए ऐसा कर सकता है। मंत्री समूह में केरल, बिहार, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री शामिल हैं। इस मंत्री समूह का गठन सोने और बहुमूल्य रत्नों के परिवहन के लिए ई-वे बिल के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए किया गया था।
मंत्री समूह की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई। बैठक के दौरान केरल और कर्नाटक चाहते थे कि राज्यों के बीच परिवहन के लिए ई-वे बिल का क्रियान्वयन किया जाए। वहीं गुजरात और बिहार का मानना था कि यह व्यावहारिक और व्यवहार्य नहीं है। सुशील मोदी ने सोने पर कर चोरी रोकने के लिए ई-इनवॉयस (ई-बिल) अपनाए जाने का सुझाव दिया। इसे शुरू करने के विषय में और अध्यन कराने का निर्णय किया गया है।
मंत्री समूह ने पुराने सोने की बिक्री को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत जीएसटी के दायरे में लाने का निर्णय लिया है। बैठक में पुराने सोने की बिक्री पर 3 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का निर्णय लिया गया है। अधिकारियों की समिति अब इसके नियमों पर काम करेगी। केरल के वित्त मंत्री ने बताया कि वर्तमान में अधिकांश अवैध सोने पर टैक्स चोरी करने के लिए उसकी बिक्री पुराने आभूषणों के रूप में की जाती है। रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत खरीदार के ऊपर जीएसटी लेने और उसे सरकार के पास जमा कराने की जिम्मेदारी होगी। मंत्री समूह के अंतिम रिपोर्ट को जीएसटी काउंसिल के समक्ष पेश किया जाएगा।
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