नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादक आस्तियों (NPA) में सितंबर 2016 को समाप्त तिमाही में करीब 80,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इन बैंकों की एनपीए 30 सितंबर को 6,30,323 करोड़ रुपए रही। यह जून के अंत में 5,50,346 करोड़ रुपए थी। इस तरह एनपीए में तिमाही के दौरान 79,977 करोड़ रुपए की वृद्धि दिखती है।
वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि सरकार ने (आधारभूत ढांचा, बिजली, सड़क, कपड़ा, इस्पात इत्यादि) क्षेत्र में स्थिति के सुधार के लिए विशेष उपाय किए हैं, क्योंकि इन क्षेत्र की परियोजनाओं को दिए गए ऋण में वसूली की समस्या अधिक हुई है।
सितंबर तिमाही में ऋण की वृद्धि दर 12 प्रतिशत पर
सितंबर में समाप्त तिमाही में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की जमा में जहां 12.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ, वहीं इस दौरान ऋण की वृद्धि दर 12.1 प्रतिशत रही। रिजर्व बैंक ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ऊंचे योगदान की वजह से इसमें वृद्धि हुई है।
- रिजर्व बैंक की जमा और ऋण पर तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में कुल जमाओं में जहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा 70 प्रतिशत रहा, वहीं कुल ऋण में उनका योगदान 67 प्रतिशत रहा।
- कुल जमा में सावधि जमा का हिस्सा सबसे अधिक 63.6 प्रतिशत रहा। उसके बाद बचत का 28.1 प्रतिशत तथा चालू खाते की जमा का हिस्सा 8.3 प्रतिशत रहा।
- तिमाही के दौरान देश में बैंकों के कुल कारोबार जमा और ऋण में 68 प्रतिशत हिस्सा सात राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा गुजरात का रहा।
- इन सात राज्यों का कुल जमा में 66 प्रतिशत तथा ऋण में 72 प्रतिशत का हिस्सा रहा।
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