नई दिल्ली। संगठित क्षेत्र के कर्मचारी जल्द ही 20 लाख रुपए तक टैक्स मुक्त ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे। केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने श्रम मंत्रालय के साथ त्रिपक्षीय विचार-विमर्श में इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियन ग्रेच्युटी भुगतान कानून में प्रस्तावित संशोधन पर त्रिपक्षीय बैठक में अंतरिम उपाय के रूप में ग्रेच्युटी भुगतान की सीमा दोगुनी करने पर सहमत हो गए हैं। यूनियनों ने ग्रेच्युटी भुगतान के लिए प्रतिष्ठान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने तथा न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाने की मांग की है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने एक बयान में कहा,
अंतरिम उपाय के रूप में अधिकतम भुगतान सीमा 20 लाख रुपए करने को स्वीकार करते हुए यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या और सेवा वर्ष के संदर्भ में सीमा हटाए जाने की मांग की है।
- फिलहाल ग्रेच्युटी भुगतान कानून के तहत एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिए उस समय पात्र होता है, जब उसने न्यूनतम पांच साल की सेवा पूरी कर ली हो।
- साथ ही यह कानून ऐसे प्रतिष्ठानों में लागू होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।
- अधिकतम राशि के संदर्भ में संशोधित प्रावधान एक जनवरी 2016 से प्रभाव में आने चाहिए जैसा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में हुआ है।
- यूनियनों ने यह भी मांग की कि सेवा के प्रत्येक साल के लिए ग्रेचुटी भुगतान को 15 दिन के वेतन से बढ़ाकर 30 दिन के वेतन के बराबर किया जाना चाहिए।
- नियोक्ताओं के साथ राज्य प्रतिनिधियों ने भी ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने पर सहमति जताई है।
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