नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कपास के व्यापारियों को कीमतों में हेरफेर से बचने या अनुचित लाभ कमाने के लिए जमाखोरी का सहारा लेने के प्रति आगाह किया। एक बैठक में कपड़ा उद्योग की कंपनियों को संबोधित करते हुए उन्होंने उनसे ‘‘कपास मूल्य निर्धारण के मुद्दे को प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग की भावना से हल करने’’ के लिए कहा। कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामलों और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने कपड़ा उद्योग की अग्रणी कंपनियों से कहा कि वे सरकार पर हस्तक्षेप करने के लिए दबाव न डालें।
एक सरकारी बयान के अनुसार, ‘‘गोयल ने कपास गांठों के व्यापारियों को कीमतों में हेराफेरी करने या जमाखोरी करने के प्रति सावधान किया।’’ मंत्री ने आगे कहा कि विनिर्माण क्षेत्रों को विकास के लिए सरकारी समर्थन पर निर्भर नहीं होना चाहिए। बयान में कहा गया है, ‘‘इस क्षेत्र के मजबूत विकास के लिए राज्य के समर्थन पर बहुत अधिक निर्भरता ठीक नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि पहली बार किसानों के हितों का ध्यान रखा जा रहा है क्योंकि उन्हें अब अच्छे आधार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ कपास की बेहतर कीमतें मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि कपास की गांठ और धागे के मूल्य निर्धारण के मुद्दे से किसी भी तरह से किसानों को मिल रहा बेहतर मूल्य प्रभावित नहीं होना चाहिए।
भारत में कपास का उत्पादन 362.18 लाख गांठ होने का अनुमान है। कपास सत्र 2021-22 की शुरुआत अक्टूबर से 73.20 लाख गांठ के अनुमानित पिछले साल के बचे हुए स्टॉक के साथ हुई थी। देश में शुरुआती स्टॉक करीब ढाई महीने की मिलों की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। बयान में कहा गया है, ‘‘कपास की कीमतें एमएसपी स्तर से लगभग 40 प्रतिशत अधिक चल रही हैं जो 8,500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,025 रुपये प्रति क्विंटल है।
Latest Business News