टोक्यो। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को कम करके 52 प्रतिशत तक कर सकती है लेकिन यह कदम इन बैंकों की हालत सुधरने के बाद उठाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में जो धन मिलेगा उसका इस्तेमाल उन बैंकों की पूंजी बढ़ाने में किया जाएगा।
जेटली ने उम्मीद जताई कि फंसे कर्जों (NPA) की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दिए गए नए अधिकार के बाद इसका हल निकलेगा। RBI को अधिकार दिया जा रहा है कि वह बैंकों को ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ दिवाला शोधन कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दे सके। केंद्रीय बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की वसूली के लिए बैंकों को सलाह देने वाली समितियां भी बना सकता है।
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उन्होंने कहा, हमने पहले से ही एक कार्यक्रम चला रखा है जिसमें हम बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में मदद दे रहे हैं। जहां सरकार की ओर से अधिक फंड की दरकार है, वहां हम उस पर विचार करने को पूरी तरह तैयार हैं। यहां सीआईआई-कोटक के निवेशक गोलमेज सम्मेलन में जेटली ने कहा, लेकिन हमने घोषणा की है कि एक बार बैंक अपनी हालत खुद से सुधार कर लेंगे तो, सरकार उनमें अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत तक ला सकती है और इसका उपयोग बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में किया जा सकता है।
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मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10,000 करोड़ रुपए की पूंजी डालने का बजटीय प्रबंधन किया है। पिछले साल 25,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजी आधार के संबंध में बेसल 3 मानकों को पूरा करने के लिए अगले दो साल में 80,000 करोड़ रुपए की शेयर पूंजी जुटानी होगी। जेटली ने कहा कि NPA की समस्या कुछ प्रकार के खातों तक सीमित है। इन खातों की संख्या ज्यादा नहीं है पर इसमें राशि बड़ी है।
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