नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किंगफिशर एयरलाइन्स जैस डिफॉल्ट के मामलों पर सरकार सख्त कदम उठाएगी। आज वित्त मंत्री ने विभिन्न पक्षों से कर्ज वसूली के प्रयासों और स्थिति की सोमवार को समीक्षा की। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह वसूली संबंधी विभिन्न कोशिशों के आकलन की नियमित समीक्षा बैठक है। यह पूछने पर कि क्या किंगफिशर के एनपीए पर भी चर्चा हुई, अधिकारी ने कहा कि सभी चूक के मामलों की समीक्षा हुई।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बही-खाते दुरस्त करने के कार्यक्रम का अंग के तौर पर यह बैठक हुई। समीक्षा में उन तरीकों पर भी चर्चा हुई कि जिसके जरिए बैंक जानबूझकर और वास्तविक चूककर्ता के मामले में ज्यादा सक्रियता से निपट सकें। दिसंबर 2015 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए बढ़कर 3.61लाख करोड़ रुपए हो गया जबकि निजी क्षेत्र बैंकों के वसूली न किए जा सकने वाले कर्ज का स्तर 39,859 करोड़ रुपए रहा। दिसंबर के अंत तक कर्ज के मुकाबले सकल एपीए अनुपात 7.30 प्रतिशत रहा जबकि निजी बैंकों के लिए यह 2.36 प्रतिशत रहा।
7,686 जान-बूझकर चूक करने वाले हैं जिन पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 66,190 करोड़ रुपए बकाया है जबकि 6,816 मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही 1,669मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। बैंकों ने वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतीकरण तथा पुनर्गठन और प्रतिभूति हित कार्यान्वयन अधिनियम (सेरफेसी) अधिनियम के तहत 584 ऐसे मामले दर्ज किए हैं। विजय माल्या द्वारा कथित विशाल कर्ज भुगतान में चूक पर हंगामे के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने आंख मूंदकर कार्रवाई करने को लेकर एनपीए वसूली की प्रक्रिया के प्रति आगाह किया है ताकि बैंक भविष्य में कर्ज देने के संबंध में चिंतित न हों।
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