नई दिल्ली। सरकार चना वायदा (चना दाल) कारोबार से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है। इसका मकसद कटाई के समय किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले साल जून में चना दाल में कोई नया अनुबंध पेश करने पर रोक लगा दी थी। इससे इसकी सटोरिया गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके और खुदरा कीमतों को काबू में लाया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सक्रियता से चना-दाल वायदा को अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। पीएमओ ने इस बारे में कृषि और वित्त सहित अन्य संबंधित मंत्रालयों से टिप्पणी मांगी है। सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय इस प्रस्ताव के पक्ष में है क्योंकि वह किसानों को उनकी रबी फसल के लिए बेहतर मूल्य दिलाना चाहता है। इसके लिए कटाई का काम आगामी हफ्तों में पूरी तेजी से शुरू होगा।
मंत्रालय का मानना है कि चना वायदा को फिर शुरू करने से किसानों को इस जिंस के भविष्य के मूल्य का पता लगाने में मदद मिलेगी और वे मूल्य जोखिम से अपने उत्पाद का बचाव कर सकेंगे।
चने और अरहर की कीमतों में तेजी
मांग में आई तेजी के कारण दिल्ली के थोक दाल दलहन बाजार में बीते सप्ताह दाल मिलों और स्टॉकिस्टों की लिवाली से चने और अरहर की अगुवाई में चुनिंदा दलहनों की कीमतों में भारी सुधार दर्ज हुआ।
बाजार सूत्रों ने कहा कि उत्पादक क्षेत्रों से सीमित आपूर्ति के मुकाबले फुटकर विक्रेताओं की मांग में तेजी आने के बाद दाल मिलों और स्टॉकिस्टों की लिवाली बढ़ने के कारण मुख्यत: चना, अरहर और अन्य दलहनों की कीमतों में तेजी आई।
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