नई दिल्ली। सरकार इस माह के अंत तक रिकैपिटालाइजेशन बांड के जरिये सात सरकारी बैंकों में 28,615 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश करेगी। इस पूंजी निवेश से बैंकों को नियामकीय पूंजी आवश्यकता पूरी करने में मदद मिलेगी। सूत्रों ने बताया कि 31 दिसंबर से पहले सरकार इस पूंजी का निवेश करेगी। इन 7 बैंकों में से बैंक ऑफ इंडिया को सबसे ज्यादा 10,086 करोड़ रुपए की पूंजी प्राप्त होगी। इसके बाद ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 5,500 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होगी।
इस चरण में पूंजी निवेश हासिल करने वाले अन्य बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (4,498 करोड़), यूको बैंक (3,056 करोड़) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (2,159 करोड़) शामिल हैं। इससे पहले सरकार ने 2018-19 में सरकारी बैंकों में 65,000 करोड़ रुपए का निवेश करने की घोषणा की थी। इसमें से 23,000 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है, जबकि 42,000 करोड़ रुपए का निवेश अभी शेष है।
इस माह की शुरुआत में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार पहले की घोषणा के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अतिरिक्त 41,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। 20 दिसंबर को सरकार ने अतिरिक्त 41,000 करोड़ रुपए के निवेश के लिए संसद से मंजूरी मांगी है।
अरुण जेटली ने कहा कि पुर्नपूंजीकरण से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में सुधार आएगा और इससे उन्हें आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। कुल 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई के दायरे में है, जिससे उन पर नया कर्ज देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
यह 11 बैंक है इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र।
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