बेंगलु। मांग-सप्लाई के अंतर को कम कर दालों की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए भारत विदेशी सरकारों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने की योजना बना रहा है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि दालों के आयात को बढ़ाकर कीमतों पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दालों को लेकर स्थिति नियंत्रण में है और माह दर माह आधार पर इनके दाम नीचे आ रहे हैं। पासवान ने कहा कि मांग और सप्लाई में अंतर है। इस साल हमारा उत्पादन 170 लाख टन है, पिछले साल यह 171 लाख टन था, जबकि उससे पहले 173 लाख टन था। मंत्री ने कहा, मांग पक्ष को देखा जाए, तो यह हर साल 10 लाख टन बढ़ रही है। इस साल यह 246 टन रहेगी।
पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार ने दालों की कमी से निपटने के लिए रणनीति बनाई है जिससे इनकी कीमतों में स्थिरता कायम रखी जा सके। उन्होंने कहा कि अंतर करीब 76 लाख टन का है। इस मामले में निजी आयातक संभवत: 60 लाख टन का आयात करेंगे। शेष के लिए सरकार ने सरकारी स्तर के अनुबंध की योजना बनाई है। हमारा दल इसके लिए म्यांमार और अन्य देश जाएगा। पासवान ने बताया कि सरकार ने बफर स्टाक भी कायम किया है। इसके लिए पहले ही 1,13,000 टन टालों की खरीद की गई है। राज्य सरकार को खुदरा वितरण के लिए दालों की खरीद के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा, हम तुअर दाल 66 रुपए प्रति किलो और उड़द दाल 82 रुपए प्रति किलो के मूल्य पर उपलब्ध करा रहे हैं। हमने जो रणनीति बनाई है उससे कीमतों में स्थिरता लाने में मदद मिली है। चीनी कीमतों पर पासवान ने कहा कि पिछले कुछ माह के दौरान इसके दाम बढ़े हैं। सरकार ने इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। पासवान ने कहा कि खाद्यान्न तथा प्याज के दाम नहीं चढ़े हैं। एकमात्र समस्या दालों की है। सरकार ने इस मोर्चे पर उपाय किए हैं।
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