नई दिल्ली। युवा उद्यमियों और इनोवेशन ट्रेनिंग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने पेटेंट, ट्रेडमार्क या डिजाइन के लिए आवेदन दायर करने की पूरी लागत का बोझ खुद उठाने का फैसला किया है। इसके अलावा वह स्टार्टअप्स के लिए सार्वजनिक खरीद नियमों में भी ढील देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा, स्टार्टअप्स को सिर्फ सांविधिक शुल्क देना होगा।
पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन का बोझ उठाएगी सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को घोषित की गई कार्रवाई योजना के अनुसार स्टार्टअप्स को सिर्फ सांविधिक शुल्क देना होगा। कार्रवाई योजना में कहा गया है कि केंद्र सरकार कितनी भी संख्या में पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन के लिए आवेदन की लागत का बोझ खुद उठाएगी। स्टार्टअप्स को सिर्फ सांविधिक शुल्क ही देना होगा। इस कदम का मकसद स्टार्टअप्स में जागरूकता पैदा करना और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) को अंगीकार करना और उन्हें इन अधिकारों के वाणिज्यीकरण तथा संरक्षण में मदद करना है।
स्टार्टअप्स को मिलेगा बढ़ावा
विशेषग्यों का कहना है कि सरकार द्वारा आईपीआर संबंधी मामलों में जो प्रोत्साहन दिए गए हैं उनसे स्टार्टअप्स को अधिक पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन के लिए आवेदन करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा संगठन (एनआईपीओ) के अध्यक्ष टी सी जेम्स ने कहा कि यह स्टार्टअप्स नवोन्मेषण में प्रोत्साहन देगा। साथ ही यह उनके बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा भी करेगा।
इंडस्ट्री ने मोदी के कदम का किया स्वागत
अर्बनक्लैप के सह संस्थापक राघव चंद्रा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल माहौल को अनुकूल बनाने की दिशा में सही कदम है। इससे उद्यमियों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। हम इसके ब्योरे का इंतजार कर रहे हैं जिससे यह समझा जा सके कि अगला कदम क्या होगा। प्रैक्टो के सीईओ और संस्थापक शशांक एनडी ने कहा, मुझे लगता है कि दिवाला विधेयक से स्टार्टअप्स को तेजी से बाहर निकलने की अनुमति मिलेगी। जो 90 दिन की है। इससे और लोगों को नया उपक्रम शुरू करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
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