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दिल्ली में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध को हटाने का आग्रह करेगी सरकार: गडकरी

टैक्सी ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार ने कहा कि वह SC से डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध के आदेश पर पुनर्विचार का आग्रह करेगी।

दिल्ली में हट सकता है डीजल टैक्सियों पर लगा प्रतिबंध, सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी आग्रह- India TV Paisa दिल्ली में हट सकता है डीजल टैक्सियों पर लगा प्रतिबंध, सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी आग्रह

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में टैक्सी ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन से आवागमन व्यवस्था में अफरातफरी की स्थिति के बीच सरकार ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय से डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध के आदेश पर पुनर्विचार का आग्रह करेगी। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, सरकार ने उच्चतम न्यायालय से इस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करने का फैसला किया है।

इस प्रतिबंध से अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि हजारों की संख्या में टैक्सियां सड़कों से हट गई हैं और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अंतर मंत्रालयी बैठक में यह फैसला किया गया। इस बैठक में गडकरी के अलावा भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते तथा पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भाग लिया। अदालत के आदेश के बाद प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई के विरोध में सैंकड़ों टैक्सी ड्राइवरों ने आज राष्ट्रीय राजमार्ग 8 तथा रिंग रोड पर जाम लगा दिया था।

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उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को डीजल कैब को सीएनजी में बदलने की 30 अप्रैल की समयसीमा को बढ़ाने से इनकार कर दिया था। दिल्ली के परिवहन विभाग के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में कुल 60,000 टैक्सियां पंजीकृत हैं, जिनमें से 27,000 डीजल टैक्सियां हैं। गडकरी ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय का सम्मान करती है और पर्यावरण के मुद्दे पर प्रतिबद्ध है और उसने पहले ही प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं।

गडकरी ने कहा कि इस तरह की खबरें हैं कि प्रतिबंध की वजह से हजारों लोगों का रोजगार छिना है और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं, पुरुषों और युवाओं सभी को यात्रा में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को जानती है कि दिल्ली-एनसीआर में कई प्रतिष्ठान विशेषरूप से आईटी और बीपीओ क्षेत्र में देर रात तक काम करना पड़ता है और सुरक्षित परिवहन का साधन नहीं होने पर उन्हें काफी जोखिम उठाना पड़ेगा। इस प्रतिबंध के बाद दिल्ली एनसीआर की कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को किसी तरह की परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का फैसला किया है।

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