नई दिल्ली: सरकार ने चीन पर अंकुश लगाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। ऐसे में सरकार जल्दी ही इस संबंध में बड़ी घोषणा कर सकती है। दोनों देशों के बीच हाल ही में कई महीनों तक LAC पर तनातनी चली थी जिसका दोनों के संबंधों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। ऐसे में अब मोदी सरकार दूरसंचार लाइसेंस नियमों में इसी महीने संशोधन कर सकती है। इसके तहत दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश से संबंधित दिशानिर्देशों को जोड़ा जाएगा।
सरकार के इस कदम से चीन और अन्य गैर-मित्र देशों से नेटवर्क उपकरणों की खरीद को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इन दिशानिर्देशों के तहत सरकार देश के दूरसंचार नेटवर्क में प्रयोग के लिए भरोसेमंद स्रोतों और भरोसेमंद उत्पादों की सूची जारी करेगी। एक आधिकारिक सूत्र ने सोमवार को कहा, ‘‘दूरसंचार विभाग राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश से संबंधित दिशानिर्देशों को जोड़ने के लिए लाइसेंस शर्तों में संशोधन को तैयार है। आगामी सप्ताह में इसकी घोषणा हो सकती है।’’
उल्लेखनीय है कि चीन की दूरसंचार उपकरण कंपनी हुवावेई का पूर्व में कनाडा और अमेरिका की सरकारों के साथ विवाद चलता रहा है। अमेरिका का आरोप है कि हुवावेई साइबर सुरक्षा और निजता कानूनों का अनुपालन नहीं कर रही है जिससे देश और नागरिकों की जासूसी का अंदेशा है। भरोसेमंद स्रोत तथा भरोसेमंद उत्पादों की सूची का फैसला उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली समिति की मंजूरी पर निर्भर करेगा। इस समिति में संबंधित विभागों और मंत्रालयों के सदस्य होंगे।
इसके अलावा समिति में उद्योग के दो सदस्य ओर स्वतंत्र विशेषज्ञ भी होंगे। हालांकि, इन दिशानिर्देशों के तहत दूरसंचार ऑपरेटरों के नेटवर्क में पहले से लगे उपकरणों को हटाने की अनिवार्यता नहीं होगी। साथ ही इससे वार्षिक रखरखाव अनुबंध पर भी असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, सरकार ने सीधे तौर पर चीन की कंपनियों से उपकरणों की खरीद पर प्रतिबंध नहीं लगाया है लेकिन सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) 2017 में संशोधन किया है। इसके तहत भारत के साथ जमीनी सीमा वाले देशों की कंपनियों के बोली लगाने पर अंकुश है। साथ ही ऐसे मामलों में भी बोलीदाताओं पर भी रोक है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं।
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