नई दिल्ली। आईटी कंपनी विप्रो में शत्रुओं के पास 4.43 करोड़ शेयर थे, जिन्हें सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एवं दो अन्य सरकारी बीमा कंपनियों को बेच दिया है। इस बिक्री से सरकार को 1150 करोड़ रुपए मिले हैं। स्टॉक एक्सचेंज बीएसई पर उपलब्ध ब्लॉक डील डाटा के मुताबिक, कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया ने विप्रो के 4.43 करोड़ शेयरकों को 258.90 रुपए प्रति शेयर की दर पर बेचे हैं।
ये शेयर एलआईसी के अलावा जनरल इंश्योरेंस और दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस को बेचे गए हैं। सबसे ज्यादा 3.86 करोड़ शेयर एलआईसी ने खरीदे हैं। इससे प्राप्त राशि सरकार के विनिवेश खाते में जाएगी।
क्या है शत्रु संपत्ति
आमतौर पर, शत्रु संपत्ति उस संपत्ति को कहा जाता है, जिसे उन लोगों द्वारा छोड़ा गया है, जो पाकिस्तान या चीन चले गए हैं और वह अब भारत के नागरिक नहीं हैं।
शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के अनुसार, शत्रु संपत्ति का तात्पर्य किसी शत्रु, एक शत्रु विषय या शत्रु कंपनी से संबंधित, धारण या प्रबंधित की गई किसी भी संपत्ति से है।
सरकार का है ऐसी संपत्ति पर कब्जा
केंद्र सरकार की ओर से कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया को शत्रु संपत्ति और शेयरों का कब्जा दिया गया है। पिछले साल नवंबर में सरकार ने कंपनियों में शत्रु शेयरों को बेचने के लिए बने तंत्र को अपनी मंजूरी दी थी।
सामाजिक कार्यों में होगा इस धन का इस्तेमाल
नवंबर 2018 को सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि दशकों से खाली पड़ी शत्रु संपत्ति को बेचने से मौद्रिकरण में मदद मिलेगी और इससे प्राप्त राशि को विकास एवं सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च किया जाएगा।
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