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Hindi News पैसा बिज़नेस पेट्रोल और डीजल की कीमतों से नहीं मिलने वाला है छुटकारा, उत्‍पाद शुल्‍क घटाने से सरकार ने किया इनकार

पेट्रोल और डीजल की कीमतों से नहीं मिलने वाला है छुटकारा, उत्‍पाद शुल्‍क घटाने से सरकार ने किया इनकार

सरकार ने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की संभावनाओं को खारिज कर दिया है।

Petrol Diesel Price- India TV Paisa Petrol Diesel Price

नई दिल्ली सरकार ने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा है कि राजस्व वसूली में किसी तरह की कटौती की उसके समक्ष बहुत कम गुंजाइश है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के चलते आयात महंगा हो रहा है।

सरकार को लगता है कि इससे चालू खाता घाटे का लक्ष्य ऊपर निकल सकता है ऐसे में वह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करके राजकोषीय गणित के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहती। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर ये विचार व्यक्त किए।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें मंगलवार को नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। इस दौरान भारतीय मुद्रा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 71.54 के रिकार्ड निम्न स्तर तक गिर गई, जिसकी वजह से आयात महंगा हो गया।

दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 79.31 रुपए प्रति लीटर की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। वहीं डीजल का दाम 71.34 रुपए के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस तेजी को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग उठी है। इन दोनों ईंधन के दाम में करीब आधा हिस्सा, केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा लिये जाने वाले कर का होता है।

पेट्रोल और डीजल के दाम में निरंतर वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में निरंतर वृद्धि अपरिहार्य नहीं है, क्योंकि ईंधनों पर अत्यधिक करों की वजह से दाम ऊंचे हैं। यदि करों में कटौती की जाती है, तो कीमतें काफी कम हो जाएंगी।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हम पहले से ही जानते हैं कि चालू खाते के घाटे पर असर होगा। यह जानते हुए हम राजकोषीय घाटे के संबंध में कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं, हमें इस मामले में समझदारी से फैसला करना होगा।

राजकोषीय घाटे का मतलब होगा आय से अधिक व्यय का होना जबकि चालू खाते का घाटा देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह और उसके बाहरी प्रवाह के बीच का अंतर होता है। चुनावी वर्ष में सरकार सार्वजनिक व्यय में कटौती का जोखिम नहीं उठा सकती है। इसका विकास कार्यों पर असर होगा।

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