नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के काम में दखलंदाजी के बारे में वहां की एक यूनियन के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सरकार केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता का पूरा सम्मान करती है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा,
सार्वजनिक महत्व के विभिन्न मामलों में जहां कहीं भी कानूनी तौर पर या परंपरा के तहत सरकार और रिजर्व बैंक के बीच परामर्श की जरूरत होती है, परमर्श होते रहते हैं। कानून के तहत या परंपरा के रूप में स्थापित परामर्श को आरबीआई की स्वायत्तता में हस्तक्षेप के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
- गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की यूनियन दी यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफीसर्स एंड एम्पलॉइज ने गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखा है।
- इसमें कहा गया है कि नोटबंदी के बाद की घटनाओं और इस आरोप से कर्मचारी अपमानित अनुभव कर रहे हैं, कि करेंसी के मामले में समन्वय के लिए एक
- अधिकारी की नियुक्ति कर सरकार केंद्रीय बैंक के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही हैं।
- वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है, यह बात स्पष्ट रूप से कही जा रही है कि सरकार आरबीआई की स्वतंत्रता और स्वायत्तता का पूरा सम्मान करती है।
- इस यूनियन ने यह मुद्दा ऐसे समय उठाया है, जबकि रिजर्व बैंक के तीन पूर्व गवर्नरों ने केंद्रीय बैंक के काम काज के बारे में कुछ चिंताएं प्रकट की हैं।
- इनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, विमल जलान और वाईवी रेड्डी शामिल हैं।
- आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट और केसी चक्रवर्ती ने भी अपनी कुछ चिंताएं प्रकट की हैं।
- पत्र में कहा गया है कि आरबीआई के कर्मचारियों ने 1000 और 500 मूल्य के पुराने नोटों को बंद करने के निर्णय के बाद अपना कार्य बहुत शानदार ढंग से पूरा किया है।
- ये नोट उस समय चलन में शामिल कुल नोट का 87 प्रतिशत थे।
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