नई दिल्ली। देश में कौशल विकास व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पेशेवर शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद गठित करने और कौशल विश्वविद्यालयों की स्थापना करने का प्रस्ताव किया है, जो कौशल में स्नातक और परास्नातक की डिग्री देंगे।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने देश के भीतर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधी दिशा-निर्देश सामने रखे हैं और लोगों से इस पर 15 दिन के भीतर सुझाव मांगे हैं। इन मसौदा नियमों के अनुसार इन सभी विश्वविद्यालयों के पास विशेष कौशल प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं, स्टूडियो और विशेषज्ञ केंद्र होंगे, जिन्हें उद्योग जगत के साथ मिलकर विकसित किया जाएगा। इनमें एक परामर्श प्रकोष्ठ होगा जो छात्रों के दाखिले से पहले उनका आकलन करेगा और उसके बाद उन्हें कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। पढ़ाई के दौरान उन्हें करियर संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा।
इसके अलावा इन विश्वविद्यालयों में एक नियुक्ति प्रकोष्ठ भी होगा जो संस्थान में उद्योगों को आमंत्रित करेगा ताकि वह नौकरी दे सकें। मसौदे के अनुसार इन कौशल पाठ्यक्रमों को विभिन्न डिग्री नामों के तहत पढ़ाया जाएगा। यह पारंपरिक प्रौद्यो्गिकी पाठ्यक्रमों और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों में विभेद करेगा। छात्रों को विभिन्न अलग-अलग नाम की डिग्री प्रदान की जाएंगी।
इसमें स्नातक स्तर पर बी. स्किल्स (कौशल में स्नातक) और बी. वोक (पेशेवर पाठ्यक्रम में स्नातक) की डिग्री दी जाएगी। इसी तरह परास्नातक स्तर पर एम. स्किल्स और एम. वोक की डिग्री प्रदान की जाएगी।
इसके लिए एक नियामक संस्था राष्ट्रीय पेशेवर शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद के गठन का भी प्रस्ताव है। इसके लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय एक स्थायी समिति बनाएगा, जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम और कौशल विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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