नई दिल्ली। सरकार ने चीन से रेडियल टायरों की डंपिंग की जांच शुरू की है। इन टायरों का इस्तेमाल बस, लॉरी तथा ट्रकों में होता है। घरेलू उद्योग को संरक्षण के लिए सरकार इन पर डंपिंगरोधी शुल्क लगा सकती है। डंपिंगरोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी) ने अपनी जांच में चीन से इन टायरों की डंपिंग के बारे में प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य पाए हैं।
घरेलू कंपनियों जेके टायर इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सिएट लिमिटेड तथा अपोलो टायर्स लिमिटेड की ओर से ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने डंपिंग रोधी जांच और आयात पर शुल्क लगाने के लिए अपील दायर की थी। डीजीएडी ने अधिसूचना में कहा है कि प्रथम दृष्टया चीन से टायरों की डंपिंग के साक्ष्य पाए गए हैं।
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जुलाई, 2014 से जून, 2015 के 12 माह के दौरान यह जांच की गई। इसके अलावा जांच के दायरे में 2012-13, 2013-14 और 2014-15 भी आएंगे। विभिन्न देशों द्वारा डंपिंग रोधी जांच यह पता लगाने के लिए की जाती है कि क्या लागत से कम मूल्य पर आयात की वजह से उनके उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है। बचाव उपाय के तहत वे उस उत्पाद पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाते हैं। चीन सहित कई देशों से सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए भारत पहले से कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा चुका है।
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