नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन देने के लिये व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF- Viability Gap Funding) योजना को अधिसूचित कर दिया। इसके तहत वित्तीय समर्थन देने के लिये ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को चुना जायेगा ताकि इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके। वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इस योजना के तहत आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित अधिकार प्राप्त समिति 200 करोड़ रुपये तक का वित्तपोषण की मंजूरी दे सकेगी जबकि 200 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता के लिये वित्त मंत्री की मंजूरी लेने के बाद समिति यह काम कर सकेगी। अधिकार प्राप्त समिति के अन्य सदस्यों में नीति आयोग के सीईओ, व्यय सचिव, सबंधित विषय को देखने वाले मंत्रालयों के सचिव तथा आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।
इस योजना को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन योजना के नाम से जाना जायेगा। यह केन्द्रीय क्षेत्र की योजना होगी जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा देखा जायेगा। योजना तुरंत प्रभाव से अमल में आ जायेगी। योजना के तहत परियोजना के पात्रता के बारे में इसमें कहा गया है कि परियोजना को निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा क्रियान्वित किया जायेगा। योजना का चयन खुली प्रतिस्पर्धी बोली के तहत सरकार अथवा किसी सांविधिक इकाई द्वारा किया जाना चाहिये। जलापूर्ति और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये वीजीएफ राशि उस परियोजनाओं के लिये लगाई गई पूंजी अनुदान की सबसे कम बोली के बराबर होगी। हालांकि, यह राशि परियोजना लागत का 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
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