नई दिल्ली। केंद्र सरकार फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के किसी अन्य प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। फिलहाल वह देना बैंक और विजया बैंक का बैंक आफ बड़ौदा (बीओबी) के साथ विलय पूरा होने का इंतजार करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक सृजित करने के लिए पिछले महीने इन तीनों बैंकों के विलय को मंजूरी दी थी। सूत्रों के अनुसार विलय प्रक्रिया तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रही है। इन तीनों बैंकों की विलय प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद ही ऐसे अन्य किसी प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
पिछले महीने तीनों बैंकों के निदेशक मंडल ने प्रस्तावित विलय के लिए शेयर अदला-बदली अनुपात को मंजूरी दी थी। बीओबी द्वारा घोषित विलय योजना के तहत विजया बैंक के शेयरधारकों को 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे। वहीं देना बैंक को 1,000 शेयर के बदले बीओबी के 110 शेयर मिलेंगे।
योजना एक अप्रैल से अमल में आएगी। यह पहला मौका है जब देश में तीन बैंकों का विलय हो रहा है। इस विलय के बाद संयुक्त इकाई का कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए होगा और स्टेट बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 पर आ जाएगी। सितंबर 2018 में केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले वैकल्पिक तंत्र ने इन तीनों बैंकों का आपस में विलय करने के प्रस्ताव को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की थी।
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