नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार कहा कि उसकी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न के लिए आधार कार्ड को आवश्यक बनाने की योजना है। सरकार ने राज्यों से कहा कि वे आधार कार्ड को राशन कार्डो के साथ सम्बद्ध करें। हालांकि, इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि राज्यों ने जून तक राशन की दुकानों में डिजिटल भुगतान प्रणाली को स्थापित करने का वादा किया है।
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80 करोड़ से अधिक लोगों को मिलता है सस्ता खाद्यान्न
- खाद्य कानून के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को पांच किग्रा गेहूं अथवा चावल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह दो से तीन रुपए प्रति किग्रा की दर से मिलता है जिससे राजकोष पर 1.4 लाख करोड़ रुपए वार्षिक का बोझ आता है।
- नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन और कम नकदी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के प्रयास के तहत खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज पीडीएस सुधार एवं नकदी रहित: कम नकदी परिवेश विषय पर राज्यों के खाद्य मंत्रियों और सचिवों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन की।
पासवान ने कहा कि
वर्तमान में करीब 5.27 लाख राशन की दुकानों में से करीब 29,000 उचित मूल्य दुकानों पर नकदी रहित लेन-देन की सुविधा है। हमें इस बात की खुशी है कि कई राज्यों में मार्च तक राशन की दुकानों में 100 फीसदी नकदी रहित प्रणाली हो जाएगी।
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- उन्होंने कहा आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपनी राशन दुकानों पर मार्च तक डिजिटल भुगतान प्रणाली शुरू करने का वादा किया है।
- ज्यादातर राज्यों में जून तक डिजिटल भुगतान प्रणाली शुरू हो जायेगी।
- पासवान ने बताया कि बिहार और उत्तराखंड ने जुलाई तक नकदीरहित प्रणाली स्थापित करने का वादा किया है जबकि अंडमान और निकोबार और जम्मू-कश्मीर ने वर्ष के अंत तक ऐसा करने का वादा किया है।
- नोटबंदी की आलोचना करने वाला पश्चिम बंगाल भी जून तक नकदी रहित व्यवस्था बहाल करने को सहमत हुआ है।
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