नई दिल्ली: सरकार ओरिएंटल इंश्योरेंस या यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण पर विचार कर सकती है, क्योंकि पूंजी झोंके जाने के बाद इनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है। मामले से जुड़े लोगों ने इसकी जानकारी दी। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति और बेहतर करने के लिये चालू तिमाही में अतिरिक्त तीन हजार करोड़ रुपये डालने वाली है। सूत्रों का कहना है कि ओरिएंटल इंश्योरेंस और चेन्नई स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस दोनों अपनी बेहतर वित्तीय स्थिति के कारण निजी क्षेत्र की दिलचस्पी पाने में सक्षम हो सकती हैं।
सूत्रों ने कहा कि निजीकरण के लिये एक उपयुक्त कंपनी चुनने की प्रक्रिया अभी शुरू हुई है और इसे तय करने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध न्यू इंडिया एश्योरेंस को चुने जाने की संभावना को भी खारिज नहीं करते हैं। न्यू इंडिया एश्योरेंस में सरकार की 85.44 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
योजना के अनुसार, नीति आयोग निजीकरण के लिये सरकार को सिफारिश करेगा और वित्त मंत्रालय का निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) प्रस्ताव पर निर्णय लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में दो सार्वजनिक बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी।
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