नई दिल्ली। सरकार एविएशन कंपनी एयर इंडिया (Air India) में मालिकाना हिस्सा बेचने की योजना बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार एयरलाइन कंपनी को घाटे से उबारना चाहती है। इसलिए एयर इंडिया में 51 प्रतिशत हिस्सा बेचकर पांच साल में इसकी रीस्ट्रक्चरिंग की योजना है। हालांकि, अंग्रेजी अखबार इकोनॉमी टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक एयर इंडिया के प्रवक्ता धनंजय कुमार और वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता डीएस मलिक ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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Air India को क्यों बेचना चाहती है सरकार
- देश की प्राइवेट एयरलाइन कंपनियों से मिल रही कड़ी चुनौती की वजह से एयर इंडिया को लगातार घाटा हो रहा है जो बढ़कर 7 अरब डॉलर (करीब 46 हजार करोड़ रुपए) तक पहुंच चुका है।
- कंपनी 2007 से ही घाटे में चल रही है। देश के करदाताओं के पैसे से सरकार पिछले छह सालों में एयर इंडिया को 3.6 अरब डॉलर (करीब 24 हजार करोड़ रुपये) का बेलआउट पैकेज दे चुकी है।
- आपको बता दें कि घरेलू बाजार में एयर इंडिया की हिस्सेदारी घटकर 14 प्रतिशत रह गई है जो एक दशक पहले 35 प्रतिशत थी। इस बड़ी गिरावट के बाद नैशनल रैंकिंग में एयर इंडिया तीसरे नंबर पर आ गई है।
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शुरुआती स्टेज पर है बातचीत
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक Air India में हिस्सा बिक्री के लिए अभी बातचीत शुरू ही हुई है और वित्त मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने प्रजेंटेशन दिया गया है।
- वित्त मंत्रालय की इच्छा है कि इस योजना पर विस्तार से विचार हो ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके कि बिक्री की पेशकश के बाद कोई ग्राहक ही नहीं मिले।
हिस्सा बिक्री में ये है सबसे बड़ा रोड़ा
- दुबई की मार्केटिंग कंसल्टिंग एलएलसी के संस्थापक मार्क मार्टिन ने कहा, यह कदम स्वागतयोग्य है, लेकिन नासमझी भरा भी।
- सरकार को पहले इसकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने वाले की तलाश करने से पहले इसके कर्जे का निपटान करना चाहिए।
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