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छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में तीसरी तिमाही के लिये कोई बदलाव नहीं, जानिये क्या हैं दरें

छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर तिमाही के आधार पर जारी की जाती है। ब्याज में कोई बदलाव न होने से स्मॉल सेविंग्स स्कीम बैंक एफडी से बेहतर रिटर्न ऑफर कर रही हैं

<p>छोटी बचत योजनाओं पर...- India TV Paisa Image Source : PTI छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर स्थिर

नई दिल्ली। सरकार ने एनएससी और पीपीएफ सहित छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। कोविड महामारी और महंगाई दर के ऊंचे स्तरों पर रहने की वजह से ये फैसला लिया गया है। फैसले के बाद पीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट पर 6.8 प्रतिशत की दर से सालाना ब्याज मिलता रहेगा। वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही ( पहली अक्टूबर 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक) के दौरान ब्याज की दर अपरिवर्तित रहेगी।  यानि तीसरी तिमाही के दौरान निवेशकों को दूसरी तिमाही में मिल रही दर पर ही ब्याज मिलेगा। वहीं नये निवेश पर भी पुरानी दरें ही मिलेंगी।

मंत्रालय के सर्कुलर के मुताबिक पीपीएफ पर 7.10 प्रतिशत, एनएससी पर 6.8 प्रतिशत, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम अकाउंट में 6.6 प्रतिशत ब्याज और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम पर 7.4 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। 5 साल की मासिक आय स्कीम पर 6.6 प्रतिशत सालाना के हिसाब से ब्याज मिलेगा। एक साल के डिपॉजिट पर ब्याज दर 5.5 प्रतिशत जबकि 5 साल के डिपॉजिट पर 6.7 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। इसके साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना में 7.9 प्रतिशत का ब्याज दर मिलेगा। वहीं किसान विकास पत्र पर 6.9 प्रतिशत का ब्याज दिया जा रहा है।  बचत योजना पर 4 प्रतिशत का ब्याज जारी रहेगा। 

छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर तिमाही के आधार पर तय की जाती है। ब्याज में कोई बदलाव न होने से स्मॉल सेविंग्स स्कीम बैंक एफडी से बेहतर रिटर्न ऑफर कर रही हैं।  हाल के ही दिनों में बैंक के एफडी में गिरावट देखने को मिली है। एसबीआई की बैंक एफडी की ब्याज दरें 2.9 प्रतिशत से 5.4 प्रतिशत के बीच हैं। बैंक वरिष्ठ नागरिकों को  एफडी पर 3.4 से 6.2 प्रतिशत का ब्याज ऑफर कर रहा है।माना जा रहा है कि कोरोना संकट की वजह से लोगों की आय पर दबाव को देखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है, जिससे लोगों को अपने जमा पर कुछ बेहतर आय हो। इसके साथ ही महंगाई दर के ऊपर रहने से भी सरकार ब्याज दरों में कटौती का कदम नहीं उठा रही है। 

 

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