नई दिल्ली। आर्थिक तंगी झेल रहे उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के गन्ना किसानों को सरकार ने राहत नहीं दी। सरकार ने अक्टूबर, 2016 से शुरू हो रहे अगले सीजन के लिए मिलों द्वारा गन्ना किसानों को दिए जाने वाला उचित और लाभदायक मूल्य (एफआरपी) 230 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बरकरार रखा है। गन्ने की कम कीमत और मिलों से पैसा नहीं मिलने से किसान मुश्किल में हैं।
आचार संहिता की वजह नहीं बढ़ाई कीमत!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की हुई बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। सूत्रों ने कहा कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से इस फैसले की घोषणा नहीं की गई है। खाद्य मंत्रालय के गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के प्रस्ताव पर गहन विचार विमर्श के बाद दरों को कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर 230 रुपए प्रति क्विंटल पर बनाए रखने का फैसला किया गया।
एफआरपी और एसएपी में क्या है अंतर
सीएसीपी एक सांविधिक निकाय है जो सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों की मूल्य नीति के बारे में सलाह देता है। एफआरपी वह न्यूनतम कीमत है जिसकी गन्ना किसानों को गारंटी होती है। हालांकि, राज्य सरकारों को अपने राज्य सलाह आधारित मूल्य (एसएपी) तय करने की आजादी होती है। मिलें एफआरपी से ऊपर कितनी भी कीमत की पेशकश कर सकती हैं।
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