नई दिल्ली। सरकार ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) नियमों का अनुपालन नहीं करने पर 1,018 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। संसद की एक समिति ने इसके लिए कड़ी निगरानी एवं अनुपालन व्यवस्था स्थापित करने का सुझाव दिया है।
कंपनी कानून, 2013 के तहत लाभ कमा रही एक श्रेणी की इकाइयों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का कम-से-कम 2 प्रतिशत एक वित्त वर्ष में सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने पाया कि सीएसआर व्यय का आंकड़ा परेशान करने वाला है।
अनुपालन रिकॉर्ड उत्साहजनक नहीं रहने को देखते हुए समिति नियम का अनुपालन नहीं करने वालों के लिए दंडनीय बनाने के साथ इसे सांविधिक रूप से अनिवार्य किए जाने के मद्देनजर सीएसआर प्रावधान में संशोधन पर विचार कर सकती है।
- कुल 226 सार्वजनिक उपक्रमों में 84 कंपनियां तथा 7,108 निजी इकाइयों में 411 ने 2014-15 में सीएसआर पर व्यय के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं दी।
- इतना ही नहीं जिन कंपनियों ने सीएसआर के बारे में जानकारी दी हैं, वे भी दिशा-निर्देश के अनुसार खर्च नहीं कर रहीं।
समिति ने कहा है कि,
यह एक बेहतरीन योजना है, जिसका मकसद सामाजिक विकास के लिए जरूरी कोष को पूरा करना है। लेकिन 50 प्रतिशत से अधिक कंपनियां इसका अनुपालन नहीं कर रही हैं।
- कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने 1,018 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और दंडनीय कार्रवाई के लिए कुछ कंपनियों की पहचान की गई है।
- समिति के अनुसार वह इस मामले में मंत्रालय के रुख से संतुष्ट नहीं है।
- समिति ने मंत्रालय को कड़ी निगरानी और मूल्याकंन व्यवस्था स्थापित करने का सुझाव दिया है, ताकि कंपनी कानून के तहत सभी कंपनियां सीएसआर नियम का अनुपालन कर सकें।
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