नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों की ओर से अपने विदेशी भागीदारों को रॉयल्टी भुगतान के बढ़ते प्रवाह को देखते हुए सरकार ने एक अंतर मंत्रालयी समूह का गठन किया है। यह समूह भुगतान नियमों का विश्लेषण करेगा और देखेगा कि क्या भारतीय कंपनियों द्वारा अपने विदेशी भागीदारों को कहीं कुछ अधिक का भुगतान तो नहीं किया जा रहा है।
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग में अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी इस समिति का नेतृत्व करेंगे। इसमें राजस्व, आर्थिक मामले विभाग और रिजर्व बैंक से भी प्रतिनिधि होंगे। समिति जून तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। समिति कंपनियों के रॉयल्टी प्रवाह की जांच करेगी और ट्रांसफर प्राइसिंग और रॉयल्टी भुगतान से जुड़े कानूनी ढांचे की जांच करेगी।
इससे पहले औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने इस तरह के भुगतान के तहत बढ़ते बाह्य प्रवाह पर गहरी चिंता जताई थी। विभाग ने एक बार फिर इस तरह के भुगतान पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है।
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