जेटली ने कहा कि एनपीए की समस्या 20–30 बड़े खातों में ही ज्यादा है। उन्होंने कहा, यह ऐसी समस्या नहीं है जो हजारों खातों में फैली हो और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए 20 से 30 खातों की समस्या का हल करना असंभव नहीं है। अतएव यह अजेय समस्या नहीं है। मैं समझता हूं कि यह लंबे समय से बनी हुई है और यह हमारे उपर बुरा असर डाल रही है।
उन्होंने कहा, यह बैंकों में नेतृत्व गुणवत्ता के मामले में अवरोध नहीं है बल्कि यह उस माहौल से जुड़ी बाधा है जिसमें बैंक नौकरशाही काम करती है। मैंने देखा है कि बैंक निर्णय लेने में पर्याप्त रूप से मुखर नहीं हैं क्योंकि हमारा भ्रष्टाचार निरोधक कानून अब भी उदारीकरण से पहले के माहौल में बना कानून है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की मूलभूत खामियों में एक रहा है फैसला करने की त्रुटिपूर्ण व्यवस्था। संसदीय समिति ने एकमत से इसे दुरूस्त करने की सिफारिश की है।
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