सरकार ने चीनी मिलों को दी राहत, शुगर एक्सपोर्ट की अवधि दिसंबर तक बढ़ाई
खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि 60 लाख टन चीनी में से 57 लाख टन चीनी के लिए सौदे हो चुके हैं।
नई दिल्ली। सरकार ने चीनी मिलों को चालू चीनी वर्ष के लिए तय चीनी कोटा का अनिवार्य निर्यात पूरा करने के लिए अतिरिक्त तीन माह का समय प्रदान किया है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि सरकार के इस कदम के बाद चीनी मिलें दिसंबर, 2020 तक अपने तय कोटे का निर्यात कर सकेंगी। 2019-20 चीनी विपणन वर्ष (अक्टूबर से सितंबर) के लिए सरकार ने कोटा के तहत 60 लाख टन चीनी निर्यात की मंजूरी दी थी, ताकि देश में उत्पादित अतिरिक्त चीनी को निर्यात किया जा सके।
खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि 60 लाख टन चीनी में से 57 लाख टन चीनी के लिए सौदे हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि मिलों ने 56 लाख टन चीनी को बंदरगाह के जरिये गंतव्य तक पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ मिलों को निर्यात में चुनौती का सामना करना पड़ा है। कुछ राज्यों में परिवहन पर प्रतिबंध होने के कारण ये मिलें अपना स्टॉक मिलों से बाहर नहीं निकाल पाई हैं।
सिंह ने कहा कि अधिकांश मिलों को महामारी की वजह से लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इसलिए हमनें यह निर्णय लिया है कि उन्हें अपने कोटा का निर्यात पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए। इसलिए सरकार ने निर्यात अवधि को तीन माह बढ़ाकर दिसंबर तक कर दिया है। चीनी मिलें ईरान, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को चीनी का निर्यात करती हैं।
अधिकारी ने बताया कि इंडोनोशिया में चीनी के निर्यात को लेकर गुणवत्ता से जुड़े कुछ मुद्दें थे, जिन्हें अब हल कर लिया गया है, इसकी वजह से भारत से चीनी निर्यात में वृद्धि आई है। सरकार 2019-20 विपणन वर्ष के दौरान 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए 6,268 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है ताकि घरेलू अतिरिक्त स्टॉक को कम किया जा सके और मिलों को गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में मदद मिल सके।
दुनिया में ब्राजील के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। 2019-20 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 2.73 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। सूखे की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ना उत्पादन घटने से पूर्व वर्ष की तुलना में चीनी उत्पादन कम रहेगा। लेकिन घरेलू चीनी उत्पादन अनुमानित वार्षिक खपत की तुलना में 2.5-2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है।