नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को मोबाइल फोन पर जोर के साथ बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के विनिर्माण पर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की अवधि एक साल बढ़ाकर 2025-26 कर दी। योजना के लिये आधार वर्ष 2019-20 ही रहेगा पर कंपनियों को पांच वर्ष की प्रोत्साहन की अवधि की गणना के लिये आधार वर्ष 2020-21 को चुनने का विकल्प होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार के लिये नये उपायों की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘अब हमने योजना की अवधि बढ़ाकर 2025-26 तक कर दी है। जिन कंपनियों ने 2020-21 में भी निवेश किया है, उसे भी योजना के तहत लिया जाएगा। क्योंकि हमने योजना के तहत उत्पादन लक्ष्य पूरा करने के लिये पांच साल की अवधि के चयन में एक विकल्प दिया है।’’
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में 10.5 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन के निर्माण के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 11,000 करोड़ रुपये के निवेश के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इन कंपनियों में सैमसंग और राइजिंग स्टार के अलावा आईफोन बनाने वाली एप्पल के लिये ठेके पर विनिर्माण करनेवाली फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रोन और पेजाट्रोन शामिल हैं। जिन घरेलू कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है उनमें लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स (डिक्सन टेक्नोलॉजीज), यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस शामिल हैं। पात्र कंपनियों को उनकी बढ़ी हुई बिक्री पर 4-6 प्रतिशत प्रोत्साहन मिलेगा। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों का संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज महेन्द्रू ने कहा कि विस्तार न केवल भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में वैश्विक मूल्य श्रृंखला के एक अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयासों का समर्थन करेगा, बल्कि यह विकासशील भारतीय कंपनियों को घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में धाक बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राष्ट्र को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गंतव्य बनने में महत्वपूर्ण साबित होगा और वैश्विक निवेशकों को महामारी के समय में सही संदेश भी देगा।
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