नई दिल्ली। सरकार विदेशों से उपहार भेजे जाने की आड़ में माल का आयात किए जाने की घटनाओं को लेकर चिंतित है। सुविधा के दुरुपयोग को रोकने के लिए वह कुछ कदम उठाने पर विचार कर रही है। इनमें उपहारों पर सीमा शुल्क से छूट को खत्म करना और उपहारों की अधिकतम संख्या निर्धारित करना शामिल है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
सितंबर 2018 में ई-कॉमर्स पर सचिवों की स्थायी समूह की बैठक हुई थी। बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। समूह की अध्यक्षता औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव ने की थी। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन की कुछ एप आधारित और ई-वाणिज्य कंपनियां देश के विदेश व्यापार कानून के नियमों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। इस नियम के तहत 5,000 रुपए तक के उत्पादों को उपहार के तौर पर नि:शुल्क आयात की अनुमति दी गई है।
स्थायी समूह ने राजस्व विभाग से कुछ विकल्पों पर विचार करने के लिए कहा है। इनमें संदिग्ध गतिविधियों की पहचान के लिए माल भेजने वाले और किस देश से माल भेजा जा रहा है इसका पता लगाना, अनिश्चितता से बचने के लिए उपहार पर दी गई छूट को पूरी तरह से खत्म करना, इस तरह के उपहारों की संख्या को प्रति व्यक्ति चार उपहार प्रति वर्ष मंगाने की सीमा तय करना शामिल है। अन्य विकल्पों में इस तरह के उपहारों के नमूने की जांच करना शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि हमने इस तरह के उपहारों की संख्या को प्रति व्यक्ति चार उपहार प्रति वर्ष मंगाने की सीमा तय करने का सुझाव दिया है। लेकिन इस पर अंतिम निर्णय सीमा शुल्क प्राधिकरण को लेना है। हालांकि, आवश्यक दवाओं पर इस तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई है। ई-कॉमर्स कंपनियों समेत कई कंपनियों ने चिंता जताई थी कि चीन की ऑनलाइन कंपनियां को भारत से ऐसे ऑर्डरों की संख्या बढ़ रही है और कंपनियां इसके तहत सीमा शुल्क से बचते हुए माल की डिलीवरी कर रही हैं।
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