नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार सार्वजनिक व्यय से समझौता किए बगैर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के रास्ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने लोकसभा में 2019-20 के बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मैं आश्वस्त करती हूं कि कहीं कटौती नहीं की गई है। खर्च बढ़ा है, आय में भी वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि 2019-20 का बजट राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर बनाए रखते हुए कृषि और सामाजिक क्षेत्र में, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त निवेश बढ़ाने की इस सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचा विकास को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध है और इसके लिए हम अगले पांच साल में 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगे।
सीतारमण ने कहा कि यह बजट इस नवनिर्वाचित सरकार की बड़ी तस्वीर पेश करता है, जिसे देश की जनता ने मजबूत जनादेश दिया है। इसके परिणामस्वरूप सामने आई यह बड़ी तस्वीर आपको बताती है कि हम अगले 10 साल में क्या करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी 22 जिंसों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि रक्षा, पेंशन और वेतन, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सरकारी प्रतिष्ठानों जैसे मदों में व्यय के लिए बजट अनुमान पर्याप्त और यथार्थपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की प्रगति राष्ट्रीय सुरक्षा जितनी ही महत्वपूर्ण है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत करने के लिए जीएसटी परिषद में अपनी बात रखेंगे। मंत्री ने कहा कि मनरेगा और पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के लिए फंड को बाद में बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी को प्रभावित करने वाली सभी योजनाओं को समर्थन बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को नल के जरिये पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेंगे।
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