नई दिल्ली। सरकार ने कोयला उत्खनन क्षेत्र में ऐसी निजी खनन कंपनियों को प्रवेश देने के प्रस्ताव को आज स्वीकृति दे दी, जो कोयला निकाल कर उसका व्यापार कर सकेंगी। कोयला क्षेत्र के 1973 में राष्ट्रीयकरण के बाद यह एक प्रमुख बाजारवादी सुधार माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया ।
कोयला एवं रेल मंत्री पियूष गोयल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस सुधारवादी कदम से कोयला क्षेत्र का काम बेहतर होगा क्योंकि इससे यह क्षेत्र एकाधिकार के युग से प्रतिस्पर्धा के दौर में प्रवेश करेगा। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और अच्छी से अच्छी प्रौद्योगिकी का मार्ग प्रशस्त होगा। निवेश बढ़ने से इससे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अवसर बढ़ेंगे और संबंधित अंचलों का आर्थिक विकास तेज होगा।
निजी क्षेत्र की कंपनियों को अब भी कोयला ब्लॉकों का अवंटन किया जाता है पर वे उस कोयले का इस्तेमाल अपने निजीकार्य के लिए स्थापित बिजली घरों के लिए ही कर सकती हैं। उन्हें इसको बाजार में बेचने की छूट नहीं होती। कोयला ब्लॉकों को अब ई-नीलामी के जरिये घरेलू एवं विदेशी खनन कंपनियों को बेचा जा सकेगा।
गोयल ने कहा कि सीसीईए ने कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम-2015 और खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमय) अधिनियम 1957 के तहत कोयला खदानों और कोयला प्रखंडों के आवंटन के तौर तरीकों को भी मंजूरी दी है। भारत में अनुमानित 300 अरब टन कोयला भंडार है।
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