नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने केयर्न एनर्जी की पेशकश स्वीकार कर लिया है इससे पिछली तारीख से कराधान विवाद को खत्म करने की राह आसान हो गयी है। केयर्न को भारत के खिलाफ दायर अपने सभी मुकदमे वापस लेने पर जमा कर का रिफंड किया जाएगा। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। केयर्न ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वह भारत सरकार के खिलाफ दायर मुकदमों को वापस लेने को तैयार है। पिछली तारीख से कराधान के प्रावधान को समाप्त करने वाला नया कानून आने के बाद केयर्न ने यह सहमति जताई थी। अब सरकार ने केयर्न की पेशकश को स्वीकार कर लिया है और उसे फॉर्म-2 भी जारी कर दिया है जिसमें कंपनी से वसूली गई राशि के रिफंड की प्रतिबद्धता जताई गई है।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि फॉर्म-2 जारी होने के बाद केयर्न अंतरराष्ट्रीय अदालतों में इस कर विवाद को लेकर दायर सारे मामले वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। तीन-चार हफ्तों में यह काम पूरा होते ही कंपनी को सरकार के पास कर राजस्व के रूप में जमा 7,900 करोड़ रुपये रिफंड कर दिए जाएंगे। केयर्न के प्रवक्ता ने इस बारे में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार ने कंपनी की तरफ से दिए गए वचन को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर भारत की छवि को बचाने के लिए गत अगस्त में नया कर कानून लागू किया था जिसमें विदेशी मूल वाली कंपनियों पर पिछली तारीख से कर लगाने के प्रावधान को हटा दिया गया। इस इस तरह केयर्न के अलावा वोडाफोन, सनोफी और सबमिलर पर कुल 1.1 लाख करोड़ रुपये की बकाया कर देनदारी भी खत्म हो गई। इन कंपनियों से सरकार करीब 8,100 करोड़ रुपये का कर इस प्रावधान के तहत वसूल चुकी थी। इसमें से 7,900 करोड़ रुपये अकेले केयर्न एनर्जी से ही वसूले गए थे। नया कानून आने के बाद केयर्न की तरह बाकी कंपनियां भी लंबित मुकदमे वापस लेने और ब्याज एवं जुर्माने की मांग छोड़ने पर इस राशि को वापस ले सकती हैं।
सरकार ने पिछले महीने नए कानून को अधिसूचित कर दिया था जिसमें 2012 के पिछली तारीख से कराधान प्रावधान को निरस्त करने के साथ ही कंपनियों से वसूली गई राशि वापस लौटाने की बात कही गई है। सूत्रों ने बताया कि नए कानून के नियम 11यूई(1) के तहत केयर्न की तरफ से जमा किए गए फॉर्म-1 को आयकर विभाग के प्रमुख आयुक्त ने स्वीकार कर लिया है। केयर्न ने पिछली तारीख से कर वसूलने के भारत सरकार के नियम को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पंचाट में चुनौती दी थी जहां पर फैसला उसके पक्ष में आया था।
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