फसलों का MSP तय करने के लिए एक नई व्यवस्था जल्द बनाएगी सरकार, किसानों को नहीं होगा नुकसान
कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज कहा कि सरकार जल्द ही एक नई प्रणाली लाएगी ताकि किसानों को उस हालत में उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें बाजार कीमत मानक दर से कम हो जाती है।
नई दिल्ली। कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज कहा कि सरकार जल्द ही एक नई प्रणाली लाएगी ताकि किसानों को उस हालत में उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें बाजार कीमत मानक दर से कम हो जाती है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने खरीफ (ग्रीष्म ऋतु) फसलों के एमएसपी में काफी वृद्धि की है और किसान समुदाय अब इस फैसले से खुश है। यह पूछे जाने पर कि सरकार किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए एक नई व्यवस्था कब लेकर आएगी तो शेखावत ने कहा, "जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी"।
इवेंट मैनेजमेंट फर्म ई-3 इंटीग्रेटेड द्वारा आयोजित 'कृषि विकास सम्मेलन 2018' में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने आए मंत्रि ने कहा कि अपने बजट 2018 भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की थी कि नीति आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श से किसानों को एमएसपी का लाभ सुनिश्चित करने के लिए एक चूकमुक्त व्यवस्था स्थापित करेगी।
सूत्रों ने पहले कहा था कि चावल और गेहूं को छोड़कर विभिन्न फसलों की कीमत एमएसपी से कम होने की स्थिति में किसानों को क्षतिपूर्ति करने के लिए सरकार को सालाना 12,000 से 15,000 करोड़ रुपए का बोझ वहन करना पड़ सकता है। चावल और गेहूं की खरीद पहले से ही सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की जाती है।
नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में प्रस्तावित खरीद तंत्र और इसके वित्तीय निहितार्थ के बारे में प्रधान मंत्री के सामने एक प्रस्तुति दी है। नीति आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि राज्यों को तीन मॉडलों का विकल्प दिया जाना चाहिए- बाजार आश्वासन योजना (एमएएस), मूल्य कमी खरीद योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए शेखावत ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कृषि और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्रों को प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़े। मंत्री ने कहा कि हम खाद्य की कमी वाले देश से खाद्य पर्याप्तता और फिर खाद्य अधिशेष वाला देश बनते चले गए हैं। हम बड़ी संख्या में खाद्य वस्तुओं के प्रमुख उत्पादक देश हैं।
उन्होंने कहा कि इसी कारण से किसानों और एमएसएमई की साझेदारी आवश्यक हो गई है। निजी कंपनियां और एमएसएमई खाद्य जिंसों की खरीद के साथ-साथ भंडारण क्षमता बढ़ाने एवं प्रसंस्करण क्षमताओं का विस्तार करने को ध्यान में रखकर गोदाम और शीत श्रृंखला जैसे बुनियादी ढांचों का निर्माण करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।