नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने निजी उर्वरक कंपनियों को सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों की तरह गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमत जल्द से जल्द घटाने को कहा है और उन्हें आगाह किया है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी सब्सिडी काट दी जाएगी।
डाय अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) तथा एनपीके जैसे गैर-यूरिया उर्वरकों पर से मूल्य नियंत्रण हटा लिया गया है और इनके अधिकतम खुदरा मूल्य विनिर्माताओं द्वारा तय किया जाता है। केंद्र सरकार उन्हें हर वर्ष एक निर्धारित सब्सिडी प्रदान करती है। इस माह के आरंभ में उर्वरक मंत्रालय ने सार्वजनिक और निजी, दोनों तरह की उर्वरक कंपनियों को कच्चे माल की वैश्विक कीमतों में गिरावट का लाभ किसानों को देने के लिए उर्वरकों के दाम कम करने को कहा था। सरकार के कहने पर राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर (आरसीएफ) और नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) जैसी सरकारी कंपनियों ने डीएपी की खुदरा कीमत 2,500 रुपए कम कर 22,000 रुपए प्रति टन, एमओपी की खुदरा कीमत 5,000 रुपए कम कर 11,000 रुपए प्रति टन कर दी है। इसी तरह मिश्रित उर्वरकों की कीमत में 1,000 रुपए की कमी की गई है।
निजी उर्वरक कंपनियों ने दरों में कोई कटौती नहीं की है। उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, निजी कंपनियां भी कीमतों में कटौती करेंगी। अंतरराष्ट्रीय कीमतें कम हुई हैं, उन्हें खुदरा कीमत को कम करना होगा। अगर वे कीमतों को कम नहीं करते हैं, हम सब्सिडी में कटौती कर देंगे। यह उन्हें स्पष्ट रूप से कह दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि मिश्रित उर्वरकों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्रियों की वैश्विक कीमतों में 50 से 70 डॉलर प्रति टन की कमी आई है।
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