नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर संविधान संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कराने के लिए सरकार विपक्ष को मनाने के लिए उससे बातचीत कर रही है। जीएसटी को उन्होंने वक्त की जरूरत बताया। नायडू ने कहा कि जीएसटी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में ही पारित किया जाना चाहिए। मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वे राजनीतिक फायदे-नुकसान की सोच से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सोचें। अन्य राजनीतिक मुद्दे हैं, जिन पर हम लड़ सकते हैं लेकिन जीएसटी का मामला पिछले सात वर्षो से लंबित है।
उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री के रूप में मुझे जीएसटी के पारित होने के बारे में पूरा विश्वास है। मैं पहले से कुछ विपक्षी दलों के साथ संपर्क में हूं। हम उनसे बात कर रहे हैं और उन्होंने कुछ उपयोगी सुझाव दिए हैं। संसद में विधेयक को मंजूर करते वक्त उन मुद्दों पर भी विचार किया जा सकता है। एकल बाजार सृजित करने के जीएसटी में राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक दर्जन से अधिक टैक्स समाहित हो जाएंगे। जीएसटी पहली अप्रैल 2016 से लागू किया जाना है। लेकिन 26 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अगर यह संविधान संशोधन विधेयक पारित नहीं होता तो अप्रैल से इसे लागू करना शायद संभव न हो सके। इस विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया गया है और इसे राज्यसभा की मंजूरी मिलने का इंतजार है, जहां सत्तारूढ़ एनडीए को बहुमत नहीं है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस विधेयक में कुछ प्रावधान शामिल करने की मांग करते हुए इस विधेयक को पारित करने का विरोध कर रही है। नायडू ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी की पेशकश के कारण भारत की जीडीपी 1.5 से दो फीसदी बढ़ जाएगी। हम देख रहे हैं कि विश्व बाजार मंदा पड़ रहा है, चीन में भी नरमी है और भारत इस समय सबसे आकर्षक स्थल है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह अच्छा मौका है और इसके फायदे के लिए हमें पहल करनी चाहिए और भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक सुदृढ़ करना चाहिए ताकि ब्याज दरें कम हो सकें और हम कल्याणकारी एवं विकासात्मक गतिविधियों पर अधिक खर्च कर सकें।
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